(Things 90s Kids Can’t Relate Now)– रिज़ल्ट वाले दिन तो हर बच्चे की धकधकी बढ़ी जाती है. आज 22 जुलाई को 12th बोर्ड का रिजल्ट्स आ चुका है. करियर के हिसाब से 10वीं और 12वीं की परीक्षा को अहम माना जाता है. छात्रों को बोर्ड के पेपर देते वक़्त जितनी घबराहट होती है, उसके बाद रिजल्ट के समय उतना ही डर लगता है.
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चलिए देखते हैं वो कौन-कौनसी बातें हैं (Things 90s Kids Can’t Relate Now)-
1- किसी विषय में कम्पार्टमेंट यानी बैक आना
पहले के दौरान भारतीय परिवार परीक्षा जैसी चीज़ को काफ़ी गंभीरता से लेता था. जैसे 90 के दशक में किसी भी विषय में बच्चे का कम्पार्टमेंट या बैक आ जाये, तो माता-पिता की मार और ताने तैयार रहते थे. लेकिन आजकल माता-पिता अपने बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डालते हैं. अगर गलती से किसी विषय में कम नंबर आ भी जाये, तो माता-पिता उन्हें ये बात प्यार से समझाते हैं और बिलकुल दबाव नहीं डालते. काश 90s के बच्चों के साथ भी ऐसा हुआ होता!
2- 90s के दौरान 60% वाले टॉपर की श्रेणी में आते थे.
90 के दशक में पढ़ाई काफ़ी जटिल और मुश्किल हुआ करती थी. साथ ही बोर्ड की परीक्षा में उस दौरान 60-70% वाले टॉपर कहलाते थे. लेकिन बीते कुछ सालों में शिक्षा में कई बदलाव आये हैं. जिनमे से अब बच्चों पॉइंट्स में अंक मिलते हैं. अब तो बच्चे 99.9% मार्क हासिल कर रहे हैं. 90s के बच्चे तो शायद सोचते भी नहीं होंगे इतने अंक के बारे में.
3- 90s के दौरान कोचिंग सेंटर नहीं हुआ करते थे.
अब बेहतर रिजल्ट लाने के लिए एक नहीं हजारों कोचिंग खुले हैं. जहां आजकल हर एक बच्चा जाकर पढ़ाई करता है. लेकिन 90s के दौरान बच्चे अपने घर पर ही पढ़ते थे या फ़िर उनके माता-पिता उन्हें पढ़ाया करते थे. (Things 90s Kids Can’t Relate Now)
4- इंटरनेट पर रिजल्ट देखने की प्रथा!
आजकल WiFi की सुविधा हर घर में मौजूद है. क्योंकि अब बिना इंटरनेट ज़िंदगी थम जाती है. आजकल बच्चे अपना रिजल्ट तुरंत वेबसाइट पर चेक कर लेते हैं. लेकिन 90s के दौरान बच्चे या तो अपना रिजल्ट न्यूज़पेपर में देखते थे. या फ़िर रिजल्ट आते ही फ़ौरन साइबर कैफ़े भागते थे.
5- 90s के दशक में रिजल्ट आने से पहले पड़ोसियों का घर आ जाना.
90s के दौरान आस-पास के पड़ोसी एक परिवार की तरह रहते थे. दुख-सुख एक दूसरे के साथ बांटते थे. अब चाहे वो 12th के बोर्ड्स का रिजल्ट ही क्यूं न हो! उस दौरान रिजल्ट आते ही आस-पास के लोग ये पूछने आ जाते थे कि, ‘बताओ बेटा कितने नंबर आये’. लेकिन आजकल लोग एक दूसरे से ज़्यादा मतलब नहीं रखते. (Things 90s Kids Can’t Relate Now)
6- डर के मारे भगवान को याद करना.
पहले 12th बोर्ड परीक्षा का अलग ख़ौफ़ हुआ करता था. जिसमें बच्चे भगवान को याद करते थे. रिजल्ट आने से पहले भगवान के आगे ख़ुद को समर्पित कर देते थे और कहते थे, ‘भगवान बस इस बार पास करा दे’! लेकिन आजकल बच्चे रिजल्ट की ज़्यादा टेंशन नहीं लेते हैं. (Things 90s Kids Can’t Relate Now)