जहां एक ओर ग्लोबल वॉर्मिंग से बाहरी वातावरण में फ़र्क़ पड़ रहा है ठीक वैसे ही हमारे शारीरिक तापमान पर भी असर पड़ रहा है. अनुसंधानकर्ताओं ने इस फ़र्क़ को बताते हुए कहा, 1851 में शरीर का स्टैंडर्ड बॉडी टेम्परेचर 37 डिग्री सेल्सियस यानी 98.6 °F मापा गया था. मगर इसमें धीरे-धीरे कमी आई 97.5 ° F पर गिर गया. 

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इनका तो ये भी मानना है,

साल 2000 में जन्मे पुरुषों का बॉडी टेम्परेचर 1800 में जन्मे पुरुषों की तुलना में 1.06 डिग्री फ़ैरनहाइट कम है. 

तापमान के घटने की पीछे वजह अगर देखी जाए, तो वैज्ञानिकों का मानना है,

साफ़-सफ़ाई में आई बेहतरी, सभी तरह की चिकित्साओं में हुए सुधार की वजह से बॉडी का क्रॉनिक इन्फ़्लेमेशन कम हुआ है. इसलिए आज के समय में बॉडी तापमान 98.6 °F से 97.5 ° F हो गया है.
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स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में चिकित्सा और स्वास्थ्य अनुसंधान की एक प्रोफ़ेसर डॉ. जूली पार्सनेट ने कहा, 

शारीरिक दृष्टि से देखा जाए तो हम जैसे अतीत में थे हम उससे बिलकुल बदल चुके हैं. हमारा लाइफ़स्टाइल बदल चुका है, वातावरण बदल चुका है. बाहर के साथ-साथ घर के अंदर का भी तापमान बदल चुका है, इसलिए अगर हम ये सोचें की हम हमेशा एक से रहेंगे तो ये ग़लत है. 
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