Bandel Cheese History: छेना से पश्चिम बंगाल में रसगुल्ला और संदेश जैसी मिठाइयां बनाई जाती हैं. मगर इससे एक स्पेशल चीज़ भी बनाया जाता है जिसका स्वाद खाने में थोड़ा खट्टा होता है. इसका इस्तेमाल कुछ 5 स्टार होटल्स में स्पेशल डिश बनाने के लिए किया जाता है.

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इस चीज़ का नाम है बंडेल, इसकी खोज आज से 500 साल पहले पश्चिम बंगाल में हुई थी. पश्चिम बंगाल की पहचान बन चुके इस चीज़ की डिमांड बहुत है. चलिए आज जानते हैं कब और किसने बंडेल चीज़ की खोज की थी.

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बंडेल और पुर्तगाली

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पश्चिम बंगाल के इस ख़ास चीज़ की खोज पुर्तगालियों ने लगभग 500 साल पहले की थी. दरअसल, उस वक़्त बंगाल के बंडेल ज़िले में बहुत सारे पुर्तगाली व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे. इनमें से कुछ पुर्तगाली कुशल हलवाई थे. उन्होंने ही यहां के निवासियों को चीज़ बनाने की कला सिखाई थी. 

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बनाया ख़ास पनीर 

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फ्रांसीसी यात्री Francois Bernier ने अपने यात्रा वृतांत में 1659 और 1666 के बीच इसके बारे में लिखा था. उनके अनुसार, बंगाली अपनी मिठाइयों के लिए मशहूर थे और पुर्तगाली भी कुशल हलवाई थे. जब पुर्तगाली यहां तो उन्होंने कुछ भारतीयों को चीज़ बनाने की कला सिखाई. पुर्तगालियों ने छेने से एक ख़ास प्रकार का पनीर बनाया जो कई दिनों तक टिक सकता था.

एशिया में था कभी मशहूर

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उन्होंने जिस चीज़ की ख़ोज की थी वो स्मोक बंडेल चीज़ था. बंडेल में इसकी खोज होने कारण ही इसे बंडेल चीज़ कहा जाता है. कभी ये चीज़ पूरे एशिया में मशहूर था. ये दो प्रकार का होता है स्मोक बंडेल चीज़ जिसमें क्रस्ट होता है और भूरे रंग का भी. दूसरा है प्लेन बंडेल चीज़ जो नॉर्मल होता है और इसका रंग सफ़ेद. विडंबना ये है कि बंडेल चीज़ को बनाने की कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. बहुत कम लोग ही इसे बना रहे हैं. 

ख़त्म हो रही है इसे बनाने की कला

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बंडेल चीज़ कोलकाता के हॉग मार्केट में कुछ दुकानों पर मिलता है. हुगली और बांकुरा ज़िले के कुछ गिने-चुने परिवार ही इसे बना रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सरकार इस चीज़ को GI टैग दिलाकर इस ख़ास चीज़ को बनाने की कला को विलुप्त होने से बचाने का प्रयास कर रही है. मशहूर शेफ़ रणवीर बरार ने भी इस चीज़ के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की थी.