सालों से हम डैकती पर आधारित बॉलीवुड फ़िल्म देखते आ रहे हैं. फ़िल्मी कहानी देख कर इतना समझ आता है कि कोई इंसान डैकती ख़ुशी से नहीं डलता. कभी-कभी हालत इंसान को इतना मजबूर कर देते हैं कि वो ग़लत कामों में पड़ जाता है और डैकती गैंग का हिस्सा बन जाता है. किसी ज़माने चंबल की बीहड़ों पर भी डैकतों का राज हुआ करता था.
घर-घर फूलन देवी, पान सिंह तोमर और मान सिंह जैसे डाकुओं का ख़ौफ़ था. यही नहीं, बच्चों को डराने के लिये भी इन दादी-नानी उन्हें डैकतों की कहानियां सुनने लगती. अगर दिमाग़ में इन डकैटों की कहानियां धुंधली पड़ गई हैं, तो चलिये आज एक बार फिर इन्हें याद कर लेते हैं.
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1. फूलन देवी
फूलन देवी डकैत अपनी ख़ुशी से नहीं, बल्कि उच्च जाति के लोगों द्वारा किये गये अत्याचारों के बाद बनी थी. कहते हैं कि बचपन में बेहमई गांव के राजपूतों ने फूलन देवी का सामहूकि बलात्कार किया. बदले की आग में उसने सरेआम 22 राजपूतों का कत्ल कर दिया और सबकी नज़रों में खूंखार डकैट बन गई. 1983 में सरकार द्वारा समझाये जाने के बाद फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया था. आत्मसमर्पण के बाद फूलन देवी ऊर्फ़ बैंडिट क्वीन ने राजनाति की राह चुनी और विधायक बन गईं.
2. डाकू मान सिंह
डाकू मान सिंह को चंबल के इतिहास का सबसे खूंखार डकैत कहा जाता है. मान सिंह का जन्म खेड़ा राठौर गांव के राजपूत परिवार में हुआ था. मान सिंह को स्थानीय लोग रॉबिन हुड के नाम से भी बुलाते थे. अपने जीवनकाल में मान सिंह ने 1,112 डकैती और 185 हत्याएं की थीं. 185 हत्याओं में उन्होंने 32 हत्या पुलिसवालों की थी. कहा जाता है कि 1955 में एक दिन वो बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे, तभी अचानक गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई.
3. निर्भय सिंह गुर्जर
निर्भय सिंह गुर्जर को लोग बागी के नाम से भी जानते हैं, जो कि चंबल के आखिरी डकैतों में से थे. निर्भय सिंह गुर्जर के नाम क़रीब 205 आपराधिक मामले दर्ज थे. वो दौर था जब लोग बागी के नाम कांपते थे, लेकिन समय बदला और 2005 में वो एक मुठभेड़ में मारे गये.
4. पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर सिर्फ़ एक डकैट नहीं, बल्कि एक चैंपियन और सैनिक भी थे. पान सिंह तोमर भी एक साधारण व्यक्ति थे, जो अपने करियर में काफ़ी अच्छा कर रहे थे, लेकिन हालातों और लोगों ने उन्हें डाकू बनने पर मजबूर कर दिया. 1981 में इंस्पेक्टर महेंद्र प्रताप सिंह चाहौन ने जाल बिछा कर पान सिंह तोमर को मार दिया. एक सैनिक और चैंपियन रहे चुके पान सिंह तोमर की कहानी इतनी दिलचस्प थी कि उन पर बॉलीवुड फ़िल्म बना दी गई.
5. जगजीवन परिहार
जगजीवन परिहार चंबल का वो ख़तरनाक डकैट था, जिसके पकड़ने के लिये 7.25 लाख रुपये का ईनाम रखा गया था. जगजीवन पुलिस से बचने के लिये कई तरकीब लगता. कई बार उसने पुलिस से बचने के लिये साड़ी पहनी और उन्हें चकमा देने में कामयाब रहा है. हालांकि, ये सिलसिला लंबा खींचा नहीं और 2007 में मुरैना ज़िले में हुई मुठभेड़ में वो मारा गया.
6. सीमा परिहार
एक दशक तक बीहड़ पर राज करने वाली सीमा परिहार फूलन देवी से काफ़ी प्रेरित थी. 13 साल की उम्र में डाकुओं ने सीमा को अगवा कर लिया था, जिसके बाद उनकी ज़िंदगी बदली और वो डाकू बन गईं. हालांकि, बाद में उन्होंने डकैती छोड़ आम जीवन जीने का फ़ैसला लिया. सीमा परिहार एक नेता होने के साथ-साथ बिग बॉस में नज़र आ चुकी हैं.
आज भले ही हालात बदल रहे हैं, लेकिन डकैतों के ज़माने में लोग चंबल जाने में कांप जाते थे. अंत में इतना ही कहेंगे कि ‘बीहड़ में बाघी होते हैं, डाकू मिलते हैं संसद में’ (पान सिंह तोमर).