जब हौसले बुलंद हों तो फिर उम्र कोई मायने नहीं रखती. इस कहावत को 96 साल की हरभजन कौर (Harbhajan Kaur) ने सच कर दिखाया है. ये आत्मनिर्भर बनने का एक ऐसा प्रयास था जो आज लोगों के लिए मिसाल बन चुकी है. 96 साल की इस बुज़ुर्ग महिला ने अपने मज़बूत हौसलों से अपने सपने को हक़ीक़त में तब्दील कर दिखाया है. आज पूरी दुनिया के लोग उन्हें ‘ग्लोबल नानी’ के नाम से जानते हैं.
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अब आप सोच रहे होंगे कि 96 साल की इस दादी ने आख़िर ऐसा क्या कर दिखाया कि वो वर्ल्ड फ़ेमस बन गईं! बता रहे हैं तसल्ली तो रखिए जनाब.
दरअसल, चंडीगढ़ की रहने वाली 96 साल की हरभजन कौर ‘बर्फ़ी और अचार’ का बिज़नेस करके पूरी दुनिया में मशहूर हो गई हैं. ये वो उम्र है जब इंसान बिस्तर से उठ भी नहीं पाता है, लेकिन हरभजन कौर ने बुढ़ापे की कमज़ोरी को अपनी ताक़त बनाते हुए अपने सपने को जीने का फ़ैसला किया. आज उनके हाथ की बनी ‘बर्फ़ी और अचार’ के दीवाने भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हैं. इसकी वजह से वो आज ‘नानी’ से ‘ग्लोबल नानी’ बन गई हैं.
दरअसल, हरभजन कौर का ये सफ़र 6 साल पहले शुरू हुआ था. इस सफर के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. 90 साल की उम्र में वो एक दिन अपनी बेटी रवीना सूरी के साथ जिंदगी को लेकर गुफ़्तगू कर रही थीं. इस दौरान हरभजन कौर ने बेटी से कहा कि उन्हें ताउम्र इस बात का मलाल रहा कि अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों के सहारे काट दी. वो कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाई और न ही कभी एक पैसा कमा पाई. मां की इस बात ने बेटी बेटी को सोचने पर मजबूर कर दिया. रवीना बचपन से ही मां के हाथ की बनी ‘बर्फ़ी और अचार’ की फ़ैन थी. इसलिए उन्होंने मां को ‘बर्फ़ी और अचार’ बनाकर इसे बेचने का सुझाव दे डाला.
हरभजन कौर (Harbhajan Kaur) बेटी का ये सुचाव सुनकर पहले तो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन जब रवीना ने उन्हें पूरा सहयोग देने की बात कही तो वो इसके लिए तैयार हो गईं. हरभजन कौर पहले दिन 5 किग्रा बेसन की ‘बर्फ़ी’ और ’10 बोतल टमाटर की चटनी’ बनाकर चंडीगढ़ की फ़ेमस ‘सुखना लेक’ के पास वाली मंडी में बेचने निकल पड़ीं. इस दौरान अच्छी बात ये रही कि कुछ ही घंटों में उनका सारा सामान बिक गया. बस यहीं से हरभजन कौर का ‘नानी’ से ‘ग्लोबल नानी’ बनने का सफ़र शुरू हुआ था.
3000 रुपये थी पहली कमाई
हरभजन कौर (Harbhajan Kaur) ने जिस दिन पहली बार 3000 रुपये की कमाई की उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था. लेकिन मां का दिल तो देखिये, इस पैसे को उन्होंने अपनी दोनों बेटियों में बराबर बांट दिया. अपनी इस कमाई हरभजन कौर इसके बाद ‘बर्फ़ी’ और ‘टमाटर की चटनी’ के अलावा ‘अचार’ भी बनाने लगीं. इस काम में घर के लोगों ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया. वो कई प्रदर्शनियों में जाने लगीं और ‘बर्फ़ी-अचार’ का अपना स्टॉल लगाने लगीं. इससे उन्हें लोगों के बीच पहचान मिलने लगी. आख़िर में उन्होंने इसे ऑनलाइन भी बेचना शुरू कर दिया.
‘बचपन की यादें’ है इसकी टैग लाइन
हरभजन कौर की पोती मल्लिका सूरी कहती हैं, ‘बचपन से घर पर सब नानी के हाथ की बनी डिश के दीवाने थे. अब तो बाहर के लोग भी इसे पसंद करने लगे हैं. नानी सब कुछ घर पर ही बनाती थीं. ‘अचार से लेकर बर्फ़ी’ और ‘जैम से लेकर स्क्वैश’ तक वो घर पर ही बनाती थीं. ऐसे में जब हम लोगों ने इसे ऑनलाइन बेचने का प्लान बनाया तो उसकी टैग लाइन ‘बचपन की यादें’ रखा. शुरू के कुछ साल तक तो काफ़ी कम ऑर्डर आते थे. लेकिन इस बीच जब मेरी शादी की बात चली तो नानी ने शादी के कार्ड के साथ अपने हाथों से बनी आधा किलो बर्फी, 1 बोतल जैम और 1 शीशी अचार 350 मेहमानों को भेज दिए. इसे जिन-जिन लोगों ने भी खाया, सब नानी के फ़ैन बन गए और इसके बाद लगातार ऑर्डर आने लगे.
ज़िंदादिली से दी कोरोना को मात
नानी को खाना बनाने का बेहद शौक है. कोरोना के दौरान जब ऑर्डर्स मिलने बंद हो गए तो उस दौरान भी वो घरवालों के लिए कुछ न कुछ बनाती रहती थीं. पूरे लॉकडाउन में जो भी बनातीं हम उसके रील्स और रेसपी इंस्टाग्राम पर शेयर करते थे. लोग उनकी रेसपी फ़ॉलो करते और कमेंट भी करते थे. हालांकि, दुर्भाग्यवश कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें भी कोविड हो गया था. ये हमारे परिवार के लिए काफ़ी मुश्किल दौर था. नानी की हालत बेहद नाज़ुक थी, लेकिन उन्होंने अपनी ज़िंदादिली से कोरोना को भी मात दे दी.
अब सारा प्रोडक्शन मोहाली में मेरे भाई के ‘क्लाउड किचन’ में होता है. अब हमें ज़्यादा ऑर्डर मिलने लगे हैं. नानी से इतना सारा खाना एक बार में बनाया नहीं जाता. क्लाउड किचन में अभी 2 महिलाएं सब कुछ बनाती हैं. उन्हें नानी ट्रेनिंग देती रहती हैं. क्वालिटी कंट्रोल अभी भी नानी के पास ही है. हर बैच बनने से पहले नानी के पास चखने के लिए जाता है, जब वो संतुष्ट होती हैं तभी ऑर्डर डिलीवर किया जाता है. पहले हमारे सारे ऑर्डर्स DTDC के माध्यम से भेजे जाते थे. लेकिन अब Amazon कारीगर पर लिस्टेड हैं, जिससे डिलीवरी काफ़ी आसान हो गई है. इसके अलावा चंडीगढ़ के ‘दास्तान’ नामक रेस्टोरेंट में भी हमारी बनाई चीजें उपलब्ध हैं.
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आनंद महिंद्रा का भी योगदान
हरभजन कौर के इस सफ़र में देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा का भी योगदान रहा है. दरअसल, आनंद महिंद्रा ने हरभजन कौर का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था. ये वीडियो कुछ ही घंटों में इतना वायरल हुआ कि उनकी चर्चा देशभर में होने लगी. इसके बाद हरभजन कौर के लोगों के ढेरों ऑर्डर आने लगे और बिज़नेस ने रफ़्तार पकड़ ली.
जब धर्मा प्रोडक्शन से मिला था ऑर्डर
हरभजन कौर को पहला बड़ा ऑर्डर करन जौहर के ‘धर्मा प्रोडक्शन’ से मिला था. इस दौरान उन्हें 10 बॉक्स का ऑर्डर मिला था. इसके के बाद रणबीर कपूर की मां नीतू सिंह और अनिल कपूर के परिवार से भी ऑर्डर्स मिले. किसी भी आम इंसान के लिए ये बहुत बड़ी बात होती है. मुंबई के अलावा उन्हें चंडीगढ़, दिल्ली, बेंगलुरु, जयपुर, भोपाल और लखनऊ समेत कई बड़े शहरों से ऑर्डर्स मिलते हैं. भारत ही नहीं भारत से बाहर भी नानी के हाथों बनी ‘बर्फ़ी और अचार’ काफ़ी मशहूर है. इसलिए लोग उन्हें ‘ग्लोबल नानी’ बुलाते हैं.