Barog Tunnel No. 33: भारत देश में ऐसी कई एतिहासिक जगहें और रेलवे स्टेशंस हैं, जो अपने अंदर डरावने रहस्य समेटे हैं. इनके पीछे का इतिहास जानने के बाद अच्छे-अच्छों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसा ही एक रेलवे ट्रैक है कालका-शिमला रेलवे ट्रैक, जो UNESCO के अंतर्गत आती है. इसी ट्रैक के बीच में आती है एक सुरंग, जिसका नाम है बड़ोग सुरंग नं. 33 (Barog Tunnel No. 33). ये सुरंग अपने भूतिया इतिहास की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है. हिमाचल प्रदेश की इस सुरंग को बनाने का जिम्मा जिस इंजीनियर को सौंपा गया था, ये रहस्य उन्हीं जुड़ा है.

Barog Tunnel No. 33
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Barog Tunnel 33

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इनका नाम कर्नल बड़ोग था, जिन्हें सन 1900 में टनल निकालने का काम सौंपा गया, लेकिन टनल जिस जगह पर निकाली जा रही थी उसके दोनों ओर पहाड़ थे, जिससे टनल खोद पाना आसान नहीं था और अंग्रेज़ शिमला में बसना चाह रहे थे कर्नल बड़ोग के असफल होने पर अंग्रेज़ों ने उन पर 1 रुपये का जुर्माना लगा दिया, जिससे शर्मिंदा होकर बड़ोग ने आत्महत्या कर ली.

Barog Tunnel No. 33
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The Hindu के अनुसार, इसके बाद, टनल का काम Chief Engineer H.S. Harrington को सौंपा गया, लेकिन वो भी इसे बनाने में सफल नहीं हो पाए. आख़िर में इस टनल को बाबा भलकू राम ने खोदने की कोशिश की और वो सफल रहे. शिमला रेलवे स्टेशन के पास बाबा भलकू रेल म्यूज़ियम (Baba Bhalku Rail Museum) भी बनाया गया है.

Baba Bhalku Rail Museum
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स्थानीय लोगों का कहना है कि एक दिन इंजीनियर बड़ोग अपने कुत्ते के साथ शाम को अधूरी बनी सुरंग के पास टहलने गए उस वक़्त वो बहुत हताश और निराश थे इसी वजह से उन्होंने अपनी पिस्तौल निकाली और ख़ुद को गोली मार ली, उनका ख़ून बहता देख उनका कुत्ता गांव की ओर भागा, लेकिन जब तक लोग आते वो मर चुके थे. ऐसा कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक बड़ोग की आत्मा यहां भटक रही है, जिसकी वजह से यहां से गुज़रने वाले लोगों के साथ कोई न कोई अप्रिय घटना घटती रहती है. इस टनल को बड़ोग टनल के अलावा हॉन्टेड टनल-33 भी कहा जाता है.

Barog Tunnel No. 33
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आपको बता दें, बड़ोग सुरंग 96 किमी लंबी है और इस रास्ते पर क़रीब 103 टनल पड़ती हैं. सन 2008 में कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को UNESCO में शामिल किया गया है.