History Of Paneer: भारतीय को पनीर बड़ा पसंद है. फिर चाहें कढ़ाई पनीर हो या मटर पनीर या फिर बटर मार के. जहां मिले धर के चाप देते हैं. शादी-ब्याह से लेकर बर्थ डे पार्टी तक में पनीर की डिमांड रहती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारतीयों का पसंदीदा पनीर भारत की देन नहीं है. जी हां, भले ही ये बात हज़म न हो, मगर सच है. (Who Invented Paneer)
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/02/Paneer-Dilbahar.jpg?w=1024)
तो आइए जानते हैं कि कहां हुई थी पनीर की खोज और कैसे ये भारत पहुंचा-
पनीर का इतिहास
पनीर फ़ारसी शब्द पेनिर (Paynir) से लिया गया है. वैसे पनीर का जनक कौन है, इसे लेकर काफ़ी मतभेद हैं. अलग-अलग थ्योरी हैं. हालांकि, ज़्यादातर का मानना है कि भारत में पनीर नहीं बना. क्योंकि, पनीर को बनाने के लिए दूध को फाड़ना पड़ता है. और भारतीय सभ्यता में दूध का फटना ही बुरा माना जाता था. आर्यन्स इसके विरुद्ध थे.
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि वैदिक समाज गाय को एक पवित्र प्राणी मानता था, इसलिए वे एसिड का उपयोग करके दूध को तोड़ना और खट्टा करना अपवित्र मानते थे. हमारे वेदों में मक्खन, दही और घी के कई उल्लेख हैं, लेकिन पनीर या दूध के खट्टा होने जैसा कुछ भी नहीं है. ऐसे में ये माना जाता है कि पनीर भारत की देन नहीं है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/02/1200px-Panir_Paneer_Indian_cheese_fresh.jpg?w=1024)
फिर कहां से आया पनीर?
कुछ लोगों का मानना है कि पनीर मंगोलों की गलती की वजह से वजूद में आया. उनका कहना है कि मंगोल दूर-दराज के इलाकों में युद्ध करते रहते थे. वो अपने साथ खाने-पीने के सामान भी ले जाते थे. एक बार जब वो युद्ध पर निकले तो अपने साथ चमड़े की बोतल (मुश्की) में दूध लेकर गए थे. उनका काफिला रेगिस्तान की गर्म इलाके से होकर गुज़रा. गर्मी की वजह से चमड़े की बोतल में रखा दूध फट गया. जब मंगोल ने उसे चखा तो उन्हें उसका स्वाद काफ़ी पसंद आ गया.
History Of Paneer
वहीं, कुछ का मानना है कि 16 वीं सदी में जब भारत में अफ़गानी और ईरानी राजा-महाराजा और यात्री आए तो वे पनीर अपने साथ लाए. उस समय बकरी या भेड़ के दूध से पनीर बनाया जाता था. हालांकि, समय के साथ पनीर में भी बदलाव आया और जिस पनीर को आज हम जानते हैं वो वास्तव में 17वीं शताब्दी में सामने आया. आधुनिक पनीर बनाने की प्रक्रिया नींबू के रस का उपयोग करके दूध को ‘तोड़ने’ की पुर्तगाली विधि से ली गई है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/02/istockphoto-464765760-612x612-1.jpg)
कहा जाता है 17 वीं सदी में पुर्तगालियों ने बंगाल में रहते हुए लोगों को साइट्रिक एसिड की मदद से दूध को फाड़ने की कला सिखाई. उन्होंने बंगालियों को दूध को अम्लीकृत करने की नई विधि बताई. इस तरह भारत में पहले बंगाल में पनीर तैयार होने लगी. फिर उसी पनीर की विधि से छेना बनाया जाने लगा.
माना जाता है कि यहीं से पनीर भी धीरे-धीरे पूरे भारत में फैला.
ये भी पढ़ें: सूरती लोचो: गुजरात की वो मशहूर डिश जो ग़लती से बन गई थी और आज सूरत के घर-घर की शान है