How the Sun Works: हमारी पूरी दुनिया सूरज के आस-पास घूम रही है. सूरज निकलता है तो दिन होता है, सूरज ढलता है तो शाम. धरती पर लाइफ़ को बनाए रखने में सूर्य की बड़ी भूमिका है. मगर कभी आपने सोचा है कि ये सूरज कैसे काम करता है और उसकी ऊर्जा का स्त्रोत क्या है?
कैसी है सूरज की संरचना
सूरज का एक हिस्सा क्रोड़ है, जो 25 फ़ीसदी है. बाहरी हिस्सा कन्वेक्टिव ज़ोन कहलाता है जो कि 30 फ़ीसदी है और बीच के 45 प्रतिशत हिस्से को रेडिएटिव ज़ोन कहते हैं.
इसके अलावा उसके वायुमंडल के जिस हिस्से को हम देख पाते हैं उसे फोटोस्फियर, लाखों करोड़ो मील बड़ी बाहरी वायुमंडल की परत को कोरोना और दोनों के बीच के हिस्सा जो फोटोस्फियर से गर्म होता है उसे क्रोमोस्फियर कहते हैं.
कैसे काम करता सूर्य और क्या है इसकी ऊर्जा का स्त्रोत (How the Sun Works)
सूर्य का आकार हमारी धरती से तीन लाख गुना बड़ा है. 4.5 अरब साल पुराने इस तारे में हीलियम और हाइड्रोजन गैस भरी हुई है. यहां दबाव और गुरुत्वाकर्षण दोनों ज़्यादा हैं, जो इन गैसों को बांधकर रखता है.
दरअसल, सूर्य का केंद्र एक परमाणु संलयन भट्टी की तरह काम करता है. सूर्य के केंद्र में भयानक दबाव की स्थिति और डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा का तापमान परमाणु नाभिकों को आपस में जुड़ने के लिए बाध्य करता है. और इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है. (How the Sun Works)
अब होता ये है कि सूर्य के क्रोड़ पर गुरुत्व सारे भार को अंदर की ओर खींच कर दबाव बनाता, जिससे हाइड्रोजन परमाणु मिलकर नाभकीय संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया शुरू करते हैं. इस प्रक्रिया में दो हाइड्रोजन परमाणु मिल कर हीलियम-4 का अणु बनाते हैं. इससे प्रचंड मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है.
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इस प्रक्रिया में ऊष्मा, प्रकाश और रेडिएशन के रूप में ऊर्जा की एक बड़ी भारी मात्रा निकलती है, जो सूर्य के चमकने या यूं कहें कि उसके जलने के लिए ज़िम्मेदार है. आसान भाषा में कहें तो सूर्य के केंद्र में नाभिकियी संलयन द्वारा हाइड्रोज़न का हीलियम में बदलना ही सूर्य की अनन्त ऊर्जा का कारण है.