देश की सबसे गौरव और प्रभावशाली नौकरी होती है सिविल सर्विसेज़, इसमें मिलने वाला रुतबा और ताक़त की बराबरी शायद ही कोई और नौकरी कर सकती है. लेकिन इन सब के साथ आती है इस नौकरी में मिलने वाली ज़िम्मेदारियां. ज़िले, राज्य और देश को उनका हक़ दिलवाना भी इन्ही ऑफ़िसर्स का काम होता है. देश में ऐसे कई अधिकारी हुए जिन्होंने अपने काम को पूरी ईमानदारी से किया. लेकिन इस ईमानदारी की क़ीमत उन्हें अपनी जान गंवा कर देनी पड़ी. आज उन्हीं ईमानदार और कर्मठ ऑफ़िसर्स के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने अपने काम को अपनी मौत के डर से भी नहीं छोड़ा.
1. आर. विनील कृष्णा
इस IAS ऑफ़िसर की हत्या ओडिशा के नक्सलियों ने कर दी थी. ये नक्सली ओडिशा के दुर्गम इलाक़ों में बिजली की सप्लाई से ख़ुश नहीं थे. आर. विनील की पहल पर ही इन इलाक़ों में बिजली पहुंच पाई थी, जिस दिन सिलिगुमा नाम के गांव में बिजली पहुंची, उसी दिन इन नक्सलियों ने गोलियों से भून कर आर. विनील की हत्या कर दी थी.
2. सतेंद्र दुबे
National Highway Authority के सतेंद्र दुबे प्रोजेक्ट मैनेजर थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ मुहीम छेड़ी थी. गया में पोस्टेड सतेंद्र अपनी ईमानदारी के लिए पूरे देश में फ़ेमस थे. कई प्रोजेक्ट में धांधली और घपले का ख़ुलासा उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के सामने किया था. कई माफ़ियाओं ने उन्हें ख़रीदने की कोशिश भी की, लेकिन वो नहीं बिके और इसी कारण वो इन लोगों की आंखों में खटकने लगे. 27 नवम्बर 2003 को सतेंद्र दुबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
3. Shanmugam Manjunath
Indian Oil Corporation Ltd. के सेल्स मैनेजर के रूप में नियुक्त Shanmugam की हत्या यूपी के लखीमपुर खीरी में कर दी गई थी. कारण था एक पेट्रोल पम्प मालिक द्वारा की जा रही धांधली का पर्दाफ़ाश करना. 19 नवम्बर 2005 को Shanmugam को घेर कर मोनु मित्तल नाम के पेट्रोल पंप मालिक ने गोली मार दी थी. हांलाकि, इनके हत्यारों को कोर्ट ने सज़ा सुनाई, लेकिन देश के एक ईमानदार ऑफ़िसर की कमी नहीं पूरी हो पाई.
4. नरेंद्र कुमार सिंह
बिहार कैडर के बहादुर ऑफ़िसर्स में से एक नरेंद्र कुमार की हत्या मध्य प्रदेश के भू माफ़िया ने कर दी थी. अपनी ड्यूटी के दौरान उन्होंने एक ट्रैक्टर को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से पत्थर ले जाते हुए देखा. उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन ट्रैक्टर पर सवार मनोज गुर्जर ने ट्रैक्टर की स्पीड बढ़ा दी. मनोज ने नरेंद्र कुमार को मारने के लिए ट्रैक्टर उनकी तरफ़ मोड़ दिया और इसकी चपेट में आकर नरेंद्र कुमार की मौत हो गई.
5. नीरज सिंह
नीरज सिंह को न तो किसी माफ़िया और न ही किसी नक्सलियों ने मारा. उनकी हत्या गांव के क़रीब 150 लोगों ने की. इसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे. कारण था कि उस गांव में लोग पेट्रोल में कैरोसिन मिला कर बेचते थे और इसे रोकने के लिए नीरज सिंह ने वहां रेड मारी थी. इसके बाद जब वो वहां की कुछ दुकानों से सैम्पल ले कर वापिस जा रहे थे, तब पूरे गांव ने एक साथ उन पर हमला कर दिया और उन्हें ज़िंदा जला दिया.
6. डी.के. रवि कुमार
रवि कुमार की लाश उनके घर में पंखे से लटकी हुई मिली थी. पुलिस वालों ने पहले इसे आत्महत्या क़रार दिया. लेकिन वहां किसी भी प्रकार का कोई नोट नहीं मिला. बताया जाता है कि उनकी हत्या बालू माफ़ियाओं द्वारा कर दी गई थी और इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई रियल स्टेट माफ़िया और बालू माफ़ियाओं पर लगाम लगाई थी और यही ईमानदारी उनकी मौत का कारण बनी.
7. यशवंत सोनवाने
Additional Collector के रूप में नासिक में नियुक्त यशवंत अपने ड्राइवर और जूनियर के साथ एक मीटिंग के लिए जा रहे थे. उन्होंने कुछ पेट्रोल टैंक को ग़ैरक़ानूनी गतिविधि करते हुए एक ढाबे पर देखा. उन्होंने गाड़ी रुकवाई और इसे रोकने के लिए आगे बढ़े. लेकिन उन माफ़ियाओं ने मिल कर यशवंत को उसी जगह ज़िंदा जला दिया.
8. रणधीर प्रसाद वर्मा
1974 कैडर के IPS रणधीर प्रसाद का झारखंड से क्राईम और क्रिमिनल्स की नाक में नकेल डालने के लिए जाना जाता था. साल 1991 में बैंक की लूट को रोकते वक़्त उनकी हत्या कर दी गई थी. उनकी बाहदुरी के लिए मर्णोप्रांत उन्हें अशोक चक्र से भी सम्मानित किया गया साथ ही उनकी तस्वीर का एक पोस्टल स्टैम्प भी जारी किया गया था.
9. गुलज़ार हुसैन
असम में तैनात गुलज़ार हुसैन एक पुलिस अधिकारी थे, जिनकी हत्या वहीं के एक नक्सली संगठन ने घात लगा कर किए गए हमले में कर दी थी. उस वक्त वो नक्सलियों के ख़िलाफ़ चल रहे ऑपरेशन को ख़त्म कर वापिस आ रहे थे.
10. मोहनचंद शर्मा
दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन शर्मा को फ़ेमस एंकाउंटर बाटला हाऊस में हुए ऑपरेशन के दौरान गोली लगी थी. जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. मोहन शर्मा को साल 2008 में President’s Medal से भी सम्मानित किया गया था.
11. एस.पी.महंतेश
दिल्ली कर्नाटक सरकार में ऑफ़िसर महंतेश की हत्या लोहे की रॉड और डंडों से मार कर की गई थी. उनकी ग़लती सिर्फ़ इतनी थी कि उन्होंने कॉपरेटिव हाउसिंग में चल रहे घोटाले की पोल घोली थी. उनकी हत्या होने से पहले भी उन पर दो बार हमले किए जा चुके थे और उनको कई बार धमकाया भी गया था. लेकिन अपने काम को सबसे आगे रखना और ईमानदारी से अपने काम को करने की ललक ने उनसे उनकी ज़िंदगी छीन ली.
12. जी. कृष्णैया
बिहार जिले के गोपालगंज के ज़िला अधिकारी के पद में नियुक्त जी. कृष्णैया एक ईमानदार अधिकारी थे. गोपलगंज में कई तस्करी माफ़ियाओं पर उन्होंने लगाम लगा रखी थी. इसी कारण उनकी हत्या एक सफ़र के दौरान कर दी गई थी. इस हत्या कांड में पूर्व सांसद आनंद मोहन को दोषी पाया गया और उन्हें उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.
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