IAS Govind Jaiswal Story: हर साल यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा के लिए लाखों उम्मीदवार बैठते हैं. जहां कुछ के सपने पूरे होते हैं, तो कुछ के अधूरे ही रह जाते हैं. साथ ही कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास रच देते हैं. जैसे की बिहार के रहने वालें IAS गोविंद जायसवाल. जिनकी कहानी इतनी प्रेरणादायक है कि उसके ऊपर एक बायोपिक बन रही है. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको गोविंद जायसवाल की कहानी के बारे में बताते हैं.

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कौन हैं बिहार के IAS गोविंद जायसवाल (Who Is IAS Govind Jaiswal)

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गोविन्द का परिवार वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में रहता था. 1995 में गोविन्द के पिताजी नारायण के पास कुल 35 रिक्शा हुआ करते थे, लेकिन गोविन्द की माता की ख़राब तबियत के कारण उनके पिता को 20 रिक्शा बेचना पड़ा. लेकिन वो अपनी पत्नी को बचा नहीं पाए और पैसों की तंगी के कारण उनके पिता उन्हें दिल्ली UPSC की तैयारी के लिए भी नहीं भेज सके.

अपने बेटे के लिए बेच दिए 14 रिक्क्षा

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जितनी मेहनत गोविन्द अपने सपनों के लिए कर रहे थे, उतनी ही मेहनत उनके पिता भी कर रहे थे. जिसके लिए उन्होंने अपने बचे हुए रिक्शा में से 14 रिक्शा और बेच दिया. और अपने पास सिर्फ़ एक रिक्शा रखा, जिसे वो चलाते थे. लेकिन उनके लिए अपने बेटे का सपना ज़्यादा बड़ा था.

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कभी खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे

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पैसों की कमी के कारण पढ़ाई के साथ-साथ गोविंद बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते थे. ऐसा कई बार हुआ है कि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे. इसीलिए उन्होंने एक टाइम खाना शुरू कर दिया. जिससे उनकी तबियत ख़राब होने लगी. लेकिन इन मुसीबतों के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

पहले ही प्रयास में क्लियर किया UPSC की कठिन परीक्षा

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आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण भी गोविंद ने हार नहीं मानी और लगन के साथ पढ़ाई करके 2006 में पहले ही प्रयास में 48th रैंक हासिल की. इसी कहानी से प्रेरित होकर लेखक दिनेश गौतम ने एक फ़िल्म की कहानी लिखी है, जिसका नाम ‘दिल्ली अब दूर नहीं है”. इस फ़िल्म में इमरान जाहिद और श्रुति सोढ़ी लीड किरदार में हैं. ये फ़िल्म थिएटर्स में 13 मई (2023) को रिलीज़ होगी.

वैसे आपको कैसी लगी इनकी कहानी?