Lakh Ki Chudiyan Significance and How It Is Made: हर एक शहर का अपना खान-पान होता है और उसी तरह पहनावा भी अलग होता है. ऐतिहासिक भूमि राजस्थान अपने खान-पान और कला-संस्कृति के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. दूर-दराज से लोग यहां के शाही अंदाज़, विविधता और प्राचीन धरोहर को देखने के लिए आते हैं. जैसे हर एक राज्य में शादियों के दौरान अलग-अलग परंपरा होती है. वहीं राजस्थानी शादियों में शादी के बाद महिला का “लाख की चूड़ियां” पहनना बहुत ज़रूरी माना जाता है. इन चूड़ियों को बनाने की प्रक्रिया भी काफ़ी यूनिक है. चलिए इसी क्रम में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कैसे बनती है “लाख की चूड़ियां”.
ये भी पढ़ें- राजा-रानी से लेकर अंबानी की फे़वरेट है जोधपुर की ये 150 साल पुरानी चूड़ी की दुकान
चलिए विस्तार से जानते हैं राजस्थान की पॉपुलर लाख की चूड़ियां कैसे बनती है-
लाख की चूड़ियां जयपुर, हैदराबाद, बिहार और आंध्र प्रदेश में काफ़ी पॉपुलर हैं. वहीं अगर हम राजस्थान की बात करें तो वहां की अधिकतर महिलाओं के हाथ में आपको लाख की चूड़ियां दिख जाएंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं, जितनी सुन्दर ये चूड़ियां दिखने में लगती हैं. उतना ही यूनिक इन चूड़ियों को बनाने की प्रक्रिया भी है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-326.png)
लाख की चूड़ियां लाख के पेड़ से बनती हैं. जिनका पुराणों में भी उल्लेख है. अथर्ववेद में लाख के कीड़े, उसकी आदतों और उपयोगिता के वर्णन का एक छोटा सा अध्याय भी है. यहां तक कि महाभारत में भी पांडवों को खत्म करने के लिए कौरवों द्वारा बनाए गए लाख महल की कहानी उसमें बताई गई है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-327.png)
लाख की चूड़ियों की बनाने की प्रक्रिया सबसे पहले पेड़ों को इकट्ठा करने से शुरू होती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे ज़्यादा लाख उत्पाद करने वाला देश है. इस प्रक्रिया में सबसे पहले केरिया नमक कीड़ा में से लाल रंग का रेसिन स्राव निकलता है. जिसे- “लाख” कहा जाता है. जिसे फ़िर काफ़ी देर तक धोया जाता है ताकि उसमे से साड़ी गन्दगी निकल जाए.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-328.png)
इसके बाद लाख को काफ़ी देर तक पिघलाया जाता है. ताकि उसके अंदर बची सारी गंदगी निकल जाए. उसके बाद लाल चटक रंग के इस लाख के अंदर वैक्स, टाइटेनियम और रंग मिलाया जाता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-329.png)
कहा जाता है पुराने जयपुर में अभी भी कारीगर लाख की चूड़ियों को पुराने तरीके से बनाते हैं. अगर आप कभी जयपुर में उन जगहों पर जाएंगे जहां चूड़ियां बनती है, तो आपको वहां अजीब सी गंध आएगी. वो गंध लाख को पिघलाते वक़्त आती है. कहा ये भी जाता है कि भगवान शिव और पार्वती की शादी में लखेरा नामक चूड़ी बनाने वाले एक समुदाय ने पार्वती माता के लिए चूड़ियां बनाई थी.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-330.png)
लाख की चूड़ियां बनाते वक्त, लाख को पहले रोल किया जाता है. उसके बाद उसे फ़्लैट करने के लिए दबाया जाता है, ताकि वो पतला रोल बन सके. बाद में उस लाख को गरम करके चूड़ी का आकार दिया जाता है. बाद में उसमे सुन्दर मोती और पत्थर लगाए जाते है. इन सब प्रक्रिया के बाद ये चूड़ियां मार्केट में जाने के लिए तैयार होती है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/01/image-331.png)
जितनी सुन्दर ये चूड़ियां दिखती है, उतना ही समय इन चूड़ियों को बनाने में लगता है!