Lavjibhai Founder of Ganga Mata Trust: भारत में आज भी आबादी एक बड़ा हिस्सा दो वक़्त की रोटी ठीक से जूटा नहीं पाता है. कई ग़रीब परिवार आधा या खाली पेट सोने पर मजबूर हैं. हालांकि, बहुत से लोगों को इन सब चीज़ों से फ़र्क नहीं पड़ता, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ग़रीबों का दर्द देखा नहीं जाता. हम जिस शख़्स की बात करने जा रहे हैं उनका कहानी भी कुछ ऐसी ही है. 

कभी उनके द्वारा ग़रीबों को मुफ़्त भोजन कराने की पहल की गई थी, आज उनकी पहल एक संस्था बन चुकी है, जो प्रतिदिन 1500 लोगों का पेट भरने का काम कर रही है. आइये, जानते हैं लावजी भाई और उनके द्वारा शुरू की गई इस पहल की पूरी कहानी.  

आइये, अब सीधा आर्टिकल (Lavjibhai Founder of Ganga Mata Trust) पर डालते हैं नज़र

गुजरात के लावजी भाई

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Lavjibhai Founder of Ganga Mata Trust: हम जिस शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनका नाम है लावजी भाई, जो गुजारत के जामनगर के व्यापारी परिवार से संंबंध रखते थे. हालांकि, लावजी भाई अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनकी उनके द्वारा की गई पहल एक बड़े आकार के साथ आज भी ज़िंदा है. 

लावजी भाई ने कभी 80 के दशक में ग़रीब लोगों को मुफ़्त में खाना खिलाने की पहल की थी, जो आज एक संस्था का रूप ले चुकी है, जिसे रोज़ाना 1500 लोगों को पेट भरता है. 2011 में लावजी भाई के निधन के बाद इस काम की ज़िम्मेदार उनके भांजे चंद्रेश भाई ने अपने कंधों पर ले ली. 

कैसे शुरू हुई ग़रीबों को मुफ़्त खाना खिलाने की पहल

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कहते हैं न हर काम के पीछे कोई न कोई वजह ज़रूर होती है. दरअसल, 80 के दशक में लावजी भाई ने कभी सरकारी अस्पतालों के पास मरीज़ों के परिवार वालों को ज़रूरी सुविधाओं, यहां तक कि भोजन के लिए भी तरसते देखा था. इनमें मज़दूर से लेकर गांव से आने वाले ग़रीब लोग थे, जिनके लिए बाहर से खाना ख़रीद कर खाना बहुत महंगा पड़ता था. लावजी भाई ये सब देख बड़े दुखी हुए और इसके बाद उन्होंने ग़रीबों के लिए टीफ़िन सर्विस शुरू की. इस काम में उनकी पत्नी लक्ष्मी पटेल उनका साथ देती थीं. वो टीफ़िन बनाती और लावजी भाई ग़रीब को खाना बांट कर आते. 

25 लाख ख़र्च करके बनाई जगह 

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Lavjibhai Founder of Ganga Mata Trust: लावजी भाई ने ये काम 1981 में अपने घर से ही शुरू किया था. धीरे-धीरे ग़रीबों खाने वालों की संख्या बढ़ने लगी और लावजी भाई का काम भी बढ़ने लगा. लावजी भाई की समाज सेवा देखते हुए अस्पताल ने उन्हें परिसर में ही एक किचन और एक कमरा बनाने की जगह दे दी थी. लेकिन, 1994 में जब अस्पताल का रेनोवेशन हुआ, तो लावजी भाई को वो जगह छोड़नी पड़ी. 

उन्होंने फिर 25 लाख ख़र्च करके अपने ट्रस्ट के लिए नेहरू मार्ग पर जगह का निर्माण किया और ग़रीबों को मुफ़्त खाने खिलाने के काम शुरू किया. उनकी ये संस्था गंगाराम ट्रस्ट के नाम से जानी जाती है.

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कोरोना काल में रोज़ 8 हज़ार लोगों को खाना खिलाया 

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Lavjibhai Founder of Ganga Mata Trust: जैसा कि हमने बतााय कि लावजी भाई के निधन के बाद उनके भांजे चंद्रेश इस ट्रस्ट को चलाते हैं. इस ट्रस्ट के ज़रिये उन्होंने कोरोना काल में रोज़ाना 8 हज़ार लोगों को खाना खिलाने का काम किया था. अब यहां अस्पताल आने वाले ग़रीबों के अलावा सड़क पर रहने वाले ग़रीब बुज़ुर्गों को भी खाना दिया जाता है. 

लोग कर रहे हैं मदद 

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चंद्रेश भाई के अनुसार, ट्रस्ट द्वारा भोजन खिलाने का ख़र्च हर महीने 25 हज़ार से ज़्यादा पहुंच जाता है. वहीं, इस काम में शहर के लोग भी डोनेशन के ज़रिये अपनी भागीदारी दे रहे हैं. ये ट्रस्ट भोजन के अलावा, ग़रीबों को कपड़े और कंबल तक बांटने का काम करता है. 

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