Mother Tree of Dasheri mango in Uttar Pradesh: आम को फलों का राजा कहा जाता है और गर्मियां आते ही आम की खुशबू से फली मंडी महकने लगती है. शायद ही ऐसा कोई हो, जिसे आम खाना पसंद न हो. वैसे भारत में आम की तरह-तरह की वैरायटी उपलब्ध है, जैसे हिमसागर (पश्चिम बंगाल), चौसा (उत्तर प्रदेश), बादामी (कर्नाटक), अल्फांसो (महाराष्ट्र), केसर (जूनागढ़) व लंगड़ा (उत्तर प्रदेश). इसमें एक और नाम शामिल है, दशहरी. आमों की बात आए और दहशही का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता है. दशहरी आम का स्वाद जुंबा पर ऐसा चढ़ता है कि खाने के बाद भी कई देर तक स्वाद को महसूस किया जा सकता है.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं उस प्राचीन पेड़ के बारे में जहां से हुई दशहरी आम (Mother Tree of Dasheri mango in Uttar Pradesh) की शुरुआत.
300 साल पुराना दशहरी आम का पेड़
Mother Tree of Dasheri mango in Uttar Pradesh: जो आम वर्षों से हमारे बीच स्वाद बिखेर रहा है, उसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के एक गांव में मौजूद एक आम के पेड़ से हुई थी. जानकारी होगी कि वो पेड़ आज भी वैसा का वैसा ही खड़ा है, जिसकी उम्र 300 साल बताई जाती है. ये गांव उत्तर प्रदेश राज्य के काकोरी ब्लॉक में हरदोई रोड पर मौजूद है और इसका नाम ‘दशहरी’ गांव.
दशहरी आम का मदर प्लांट
Mother Tree of Dasheri mango in Uttar Pradesh: दूर-दूर से लोग इस प्राचीन पेड़ को देखने के लिए आते हैं. ये क़रीब 1600 फ़ीट में फैला है. इस पेड़ को दावा किया जाता है कि यहीं से दशहरी आम की शुरुआत हुई थी, दशहरी आम का ये पहला पेड़ था. इस पेड़ के सामने एक बोर्ड भी लगा दिया गया है, जिस पर लिखा है ऐतिहासिक दशहरी वृक्ष और ‘Mother Dasheri Tree’.
गांव वालों ने बचाकर रखा है
दशहरी के इस पुराने पेड़ को गांव वालों ने अब तक बचाकर रखा हुआ है. वहीं, इसे लेकर गांव वालों का कहना है कि जब से हम पैदा हुए हैं, इस पेड़ को ऐसे ही देखते आ रहे हैं. साथ ही गांव वाले ये भी कहते हैं कि आम के मौसम में भले ही चार-पांच आम, लेकिन लगते ज़रूर हैं.
लखनऊ के नवाबों से कनेक्शन
Mother Tree of Dasheri mango in Uttar Pradesh: ऐसा कहा जाता है कि कभी आम उत्पादकों के बीच कर को लेकर मतभेद के कारण गांव में आमों का ढेर लग गया था. वहीं, इसमें वो दशहरी का ये पेड़ भी शामिल था. वहीं, अपने निजी इस्तेमाल के लिए उस समय के लखनऊ के नवाब ने इस पेड़ का अधिग्रहण कर लिया था, जो अपने लाजवाब स्वाद के लिए जाना जाता है. कहते हैं कि नवाब को आम इतने प्यारे थे कि उन्होंने दिन-रात पेड़ की निगरानी के लिए सैनिकों लगाकर रखे हुए थे.