School in Bihar takes garbage instead of fees: भारत में ग़रीबी शिक्षा के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है. इसलिए, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में Lowest Literacy Rate है. ग़रीबी की वजह से ही बच्चे पढ़ने की बजाय काम करने पर मजबूर हो जाते हैं. दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में दिन रात काम करने वाले मज़दूर बच्चों के भविष्य के बारे में सोच नहीं पाते.
वहीं, प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस इतनी ली जाती है कि ग़रीब व मिडिल क्लास परिवार अपने बच्चों को वहां पढ़ाने का ख़्याल मन में ला ही नहीं सकता है. हालांकि, सरकार की तरफ़ से नि:शुक्ल शिक्षा भी दी जा रही है.
भारत में कई ऐसे स्कूल हैं जहां बिना फ़ीस लिए ही बच्चों को पढ़ाया जाता है, लेकिन हम जिस स्कूल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वहां फ़ीस तो ली जाती है, लेकिन फ़ीस में पैसे नहीं, बल्कि बच्चे कचरा देते हैं. आइये, जानते हैं इस अनोखे स्कूल के बारे में.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं उस स्कूल (School in Bihar takes garbage instead of fee) के बारे में जहां फ़ीस में बच्चे देते हैं कचरा.
वो स्कूल जहां फ़ीस में दिया जाता है कचरा
School in Bihar Takes Garbage Instead of Fees: हम जिस स्कूल के बारे में आपको बता रहे हैं वो बोध गया (बिहार) के सेवाबीघा गांव में है और उसका नाम है ‘पदमपानी स्कूल’ (Padmapani School in Bihar). ये स्कूल Padampani Educational and Social Foundation नाम की संस्था चलाती है. ये स्कूल 8वीं तक है और यहां क़रीब 250 बच्चे पढ़ते हैं. ये स्कूल अपने आप में ख़ास है क्योंकि यहां बच्चे फ़ीस में पैसे नहीं, बल्कि कचरा देते हैं. ऐसा क्यों किया जाता है और इसका क्या लाभ है, वो हम आगे बताते हैं.
नि:शुल्क शिक्षा के साथ पर्यावरण की सीख
Padmapani School Takes Garbage as Fee: यहां पढ़ने वाले बच्चों को ट्यूशन फ़ीस के बदले घर से स्कूल के रास्ते मिलने वाले प्लास्टिक कचरे को लाने को कहा जाता है, जिन्हें वो स्कूल के बाहर रखे डस्टबीन में डाल देते हैं. इस तरह बच्चों को बड़े क़रीबी से स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान दिया जाता है, ताकि ये ज्ञान बच्चे जीवन भर अपने साथ रखे.
यहां न बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दी जाती है, बल्कि किताबें और स्टेशनरी का सामान भी मुफ़्त दिया जाता है.
A school in Bihar takes garbage instead of fees: वहां की प्रींसिपल मीरा मेहता का इस पर कहना है कि वो इस पहल के पीछे का उद्देश्य बच्चों को उनकी ज़िम्मेदारी का एहसास कराना है. ऐसा करने से वो पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चीज़ों को बड़े क़रीब से समझ पाएंगे और जागरूक रहेंगे.
रिसाइकिल के लिए जाता है कचरा
अब आप सोच रहे होंगे कि जमा किए गए कचरे का क्या होता है, तो बता दें कि जमा किए गए प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल के लिए भेज दिया जाता है और जो भी पैसा उससे मिलता है, वो बच्चों की किताबें व स्टेशनरी के सामानों पर ख़र्च किया जाता है.
ये भी पढ़ें: किसी बड़ी प्रेरणा से कम नहीं है बिहार का ‘धरहरा’ गांव, बेटी के जन्म पर लगाए जाते हैं 10 पौधे
विदेशों से आने लगा है डोनेशन
Padmapani School Takes Garbage as Fee: जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ये स्कूल एक ट्रस्ट चलाती है. स्कूल की पाक पहल को देखते हुए स्थानीय लोग भी मदद करते हैं. वहीं, विदेश से भी लोग स्कूल को चंदा दे रहे हैं. दरअसल, एक बार कोरियन पर्यटक बोध गया घूमने के लिए आए, जिन्हें ये स्कूल और उनकी पर्यावरण के लिए उठाया गया कदम बहुत अच्छा लगा. अब वो नियमित रूप से स्कूल को चंदा देते हैं. चंदे में मिलने वाला पैसा बच्चों की पढ़ाई और स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ख़र्च किया जाता है.