चाय… कितना सुकून है इस एक शब्द में. सुबह की शुरुआत हो या दिन भर की थकान उतारनी हो या फिर बस साथ बैठ कर गपशप करनी हो, चाय से बेहतर और कुछ नहीं. कड़क अदरक वाली चाय की एक चुस्की और आपकी सारी दिक्कत परेशानी तुरंत उड़न छू!
सुनिए… चाय का एक कप हाथ में लेकर आगे पढ़िएगा, हमारी भावनाओं को बेहतर महसूस कर पाएंगे.
वैसे अदरक वाली चाय हमारी पसंदीदा है. आपको मलाई वाली, मसाले वाली, इलाइची वाली या ब्लैक टी या फिर ग्रीन टी भी पसंद हो सकती है. सबकी अपनी अपनी पसंद होती है भाई! खैर, कैसी भी हो, है तो चाय ही. जैसे गाड़ी नहीं चल सकती पेट्रोल के बिना, वैसे हम नहीं चल सकते चाय के बिना.

ये वर्ल्ड है न वर्ल्ड…इसमें दो तरह के लोग होते हैं. एक आपके और हमारे जैसे जिनके लिए चाय ही सब कुछ है और दूसरे वो अजीब से लोग जिनका इंजन कॉफ़ी के बिना नहीं चलता. देखिये हम यहां जजमेंटल नहीं हो रहे हैं, मगर सही बताएं तो कॉफ़ी में वो बात नहीं! भले ही चीन में चाय की खोज हुई हो लेकिन जितना प्यार और अपनापन इसे भारत में मिला है उतना कहीं और नहीं. कितने ही अलग-अलग लोग क्यों न रहते हों इस देश में, एक कप चाय सबको जोड़ देती है. अब अपने आदरनीय प्रधानमंत्री मोदी जी को ही ले लीजिये. ‘चाय पे चर्चा’ कर के जोड़ तो दिए ही थे सबको. इस बात से आप एक कप गरम चाय की ताकत का अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं.

कुछ ऐसे भी लोग हैं दुनिया में जो पूरा दिन बिना चाय के गुज़ार देते हैं…पता नहीं कैसे! हमारे लिए तो चाय उतनी ही ज़रूरी है जितना की सांस लेना. इस देश में रह कर चाय से बैर रखने वाले लोग जीते कैसे हैं भाई, हमको तो कतई समझ नहीं आता. ये तो कुछ भी नहीं, कुछ ऐसे भी ढोंगी हैं यहां जो सर्दियों में तो मज़े से 2-4 कप चाय पी जाते हैं मगर गर्मियां आते ही चाय को ऐसे अपनी ज़िन्दगी से निकाल बाहर करते हैं, जैसे वो चाय नहीं दो रुपए का पेन हो, जिसकी इंक ख़तम हो गयी हो. कतई मतलबी लोग हैं इस संसार में!

चाय की अहमियत आप समझते ही होंगे. सुबह-सुबह नींद भगानी हो, एक कप चाय पी लो. प्रेशर न बन रहा हो, एक कप चाय पी लो. सर दर्द कर रहा हो, एक कप चाय पी लो. खाली वक़्त काटना हो, एक कप चाय पी लो. गप्पे मारने हो, एक कप चाय पी लो. ऑफ़िस में काम करते करते थक गए हो, एक कप चाय पी लो. सर्दी लग रही हो, एक कप चाय पी लो. बारिश हो रही हो, एक कप चाय पी लो. साथ में Parle G हो या पकौड़े, सबके साथ फ़िट बैठ जाती है. ख़ुशी हो, गम हो, दिक्कत हो, परेशानी हो, कोई और साथ दे न दे, चाय आपका साथ ज़रूर देगी.
एक और बात है, चाय का जो मज़ा टपरी पर मिलने वाले कांच के उस ग्लास में आता है, वो किसी कप में नहीं. हाथ में गरमा-गरम चाय हो और उससे भाप निकल रही हो. ओहोहोहोहो! बस इमैजिन करने से भी कितना सुकून मिलता है.

इतना पढ़ कर ज़रूर ही चाय पीने का मन कर गया होगा आपका. सब कुछ छोड़िये, ब्रेक लीजिये. और सुकून के कुछ पल बिताइए अपने सच्चे साथी के साथ!
Feature Image: Karma Kettle