एक बच्चा जो घर छोड़ के जा रहा है, उसकी शरारती मुस्कान और जलेबी. अगर आप 90’s के दशक के हैं तो आप समझ ही गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं. बात हो रही है धारा ऑयल के जलेबी वाले एड की, जिसमें जलेबी के चलते एक बच्चा घर छोड़कर जाने का विचार बदल लेता है.
ये एड आज भी लोगों के दिल के बहुत क़रीब है. इस इमोशनल एड ने कंपनी का तो फ़ायदा करवाया ही था लोगों के दिल को भी इसने छुआ था. इस विज्ञापन के बनने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इसे हम आज आपके लिए डिकोड करने वाले हैं.
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दरअसल बात, 1990 की है जब Dhara Oil की डिमांड तेज़ी घट रही थी. लॉन्च के शुरुआती दिनों में तो इसकी मार्केट ऊप जा रही थी, लेकिन बाद में लोग इसे भूलने लगे थे. इसलिए इसे बनाने वाली कंपनी Mudra ने इसे फिर से ऊंचाई पर ले जाने के बारे में सोचा.
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इस तरह वो एक एड एजेंसी के संपर्क में आए. एजेंसी के मालिक जगदीश आचार्य ने एड के लिए बेस्ट स्क्रिप्ट बनाने की ठानी. उनकी मां ने इसमें किसी फ़ास्ट फ़ूड की जगह जलेबी को लेने की बात कही. इसके बाद उन्होंने घर छोड़कर जा रहे बच्चे और धारा तेल में तली मां के हाथ की जलेबी की एड की स्क्रिप्ट तैयार की.
पहले इस एड में वो एक 12-13 साल के बच्चे को कास्ट करना चाहते थे. मगर उससे वो इमोशन नहीं मिले जैसा वो चाहते थे, तो फिर इस एड के छोटे बच्चे परज़ान दस्तूर से संपर्क किया गया. उनकी मां उन्हें प्ले स्कूल से सीधा शूटिंग लोकेशन पर लेकर गई थीं. यही नहीं उस वक़्त परज़ान को जोरों की भूख भी लगी थी.
ये एड मुश्किल से 60 सेकंड की थी पर इसमें वो सब था जिसने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. एक मस्त बैकग्राउंड ट्यून, बच्चा, मां का प्यार और संयुक्त परिवार. इस एड के कुछ सालों बाद परज़ान दस्तूर 2002 में इसके सेकेंड पार्ट में भी कास्ट किया गया था.
इसमें भी पिछली ट्यून, बच्चे और जलेबी का ट्विस्ट था. मगर इस बार परज़ान दस्तूर ने बड़े भाई का रोल प्ले किया था अपने छोटे भाई को घर छोड़कर जाने के प्लान को त्यागने के लिए राज़ी कर लेता है. वजह भी सेम थी मां के हाथ की बनी जलेबी. जाते-जाते इस एड को एक बार फिर से देख लीजिए: