World Earth Day: आज Earth Day पर मैं आपसे प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग और तेज़ी से गायब होते जंगलों के लिए 3 सवाल करना चाहूंगा. अगर आज नहीं, तो कब? अगर हम नहीं, तो कौन? अगर धरती नहीं, तो कहां? विश्व भर में आज Earth Day मनाया जा रहा है. साल 1970 में अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) ने पर्यावरण शिक्षा के रूप में इस दिन की स्थापना की थी, जिसके बाद से हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे मनाया जाता है. इस दिन को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देश मनाते हैं. हर साल दुनिया के करोड़ों लोग जीवन में प्र​कृति के योगदान की सराहना करते हुए उसके संरक्षण के लिए एक जुट होते हैं, लेकिन तेजी से बढ़ती टेक्नॉलिजी का असर पृथ्वी पर दिख रहा है और इसके परिणाम हमारे पृथ्वी के लिए बहुत ही बुरे साबित हो रहे हैं.

हमारी यही ग़लतियां पृथ्वी (World Earth Day ) पर ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे लू, सूखा, बाढ़, तूफ़ान और ख़तरनाक मौसम जैसी समस्या हो रही हैं, जो हमारी प्रकृति को हानि पहुंचा रही हैं. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर तेज़ी से पिघलती बर्फ़, तेज़ी से ग़ायब होते पेड़ और प्रदूषण से मरते जीव Global Warming की नहीं, Global Warning की तस्वीर हैं. इनका दुष्प्रभाव पृथ्वी पर किस तरह पड़ रहा है, वो इन तस्वीरों में देख सकते हैं.

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World Earth Day

1. जंगलों को काट-काट कर सड़क बनाते रहे तो प्रकृति और उसमें रहने वाले जीव-जंतु का क्या होगा?

weforum

2. विनाश के गर्त में जाती प्रकृति

imguol

3. तूफ़ान ने सब बर्बाद कर दिया

reutersmedia

4. सड़क निकालनी है तो कहीं से भी निकाल लोगे

publico

5. नदी, तालाब और नहरों को स्वच्छ रखो न कि गंदगी से भर दो

businessinsider.i

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6. ये सूखा पेड़ बता रहा है कि हमारा भविष्य अंधकार में है

manchester-psychotherapy

7. अभी भी देर नहीं हुई, हमारा एक प्रयास पृथ्वी को बचा सकता है

vecer

8. तूफ़ान घर और इंसान के साथ उम्मीद भी बहा ले जाते हैं

cloudfront

9. आधे से ज़्यादा कचरा तो भगवान के नाम पर लोग फैला रहे हैं

staticflickr

10. नदियों को गंदा करने से बचें, ये सबके लिए हानिकारक है

avax

11. पेड़ बचाओ, प्रकृति बचाओ

natgeofe

12. पृथ्वी हमें वॉर्निंग दे रही है

api

13. चारों-तरफ़ बस सूखा ही सूखा है

infoamazonia

14. पृथ्वी को बचाएंगे, तब हम बचेंगे

washingtonpost

15. गंदगी के ढेर तो जगह-जगह हैं

ibtimes

16. ऐसे कई कारखाने हैं, जो प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं

ibtimes

17. ये धुआं हवा में मिलकर उसे ज़हर बना रहा है

zabavnik

18. बेज़ुबान पक्षियों का क्या कसूर है?

funtime

19. कचरे को कम करने के लिए जागरुकता ज़रूरी है

natgeofe

20. धीरे-धीरे ऐसे ही सारे जीव-जंतु शिकार होते रहेंगे

wp

21. सूखे से बेहाल होता जीव

twimg

22. हमारी धरती पर सबसे ज़्यादा कचरा प्लास्टिक का है, जो स्थलीय और जलीय दोनों जीव-जंतुओं को हानि पहुंचा रहा है.

cloudfront

23. गंदगी ऐसे ही बढ़ती रही तो कुछ समय बाद सारी वॉटर एक्टिविटी ख़त्म हो जाएंगी

twimg

24. जंगलों और पेड़ों को काटो नहीं, उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा लगाओ

newsweek

साल 1970 में जब इस दिन की शुरुआत हुई थी तब लोगों का ध्यान सिर्फ़ प्रदूषण पर केंद्रित था, लेकिन साल 1990 तक लोग जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे मुद्दों के बारे में भी सोचने लगे और लोगों को जागरुक करने लगे. आपको बता दें, 22 अप्रैल 1970 को आयोजित पहले वर्ल्ड अर्थ डे में 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसमें हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोग शामिल हुए थे.

हमें उम्मीद है अब आपको अपने दा​यित्व का अंदाज़ा हो गया होगा. इसलिए प्रण लें ​कि आज एक पौधा ज़रूर लगाएंगे.