भारत में हर व्यक्ति के लिए आधार कार्ड (Aadhaar Card) और पैन कार्ड (Pan Card) बेहद अहम सरकारी डॉक्यूमेंट माने जाते हैं. पासपोर्ट (Passport) बनवाने से लेकर बैंक अकाउंट (Bank Account) खुलवाने तक इन दोनों ही डॉक्यूमेंट की हर जगह ज़रूरत पड़ती है. एक वक़्त था जब भारत में ‘वोटर आईडी कार्ड’ सबसे अहम डॉक्यूमेंट माना जाता था, लेकिन अब अधिकतर कामों के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड की ज़रूरत पड़ती ही है. लेकिन क्या आप जानते हैं अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके इन सरकारी डॉक्यूमेंट्स (Government Document) का क्या होता है?

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अगर आप अपने परिवार के किसी मृत सदस्य के आधार कार्ड (Aadhaar Card) और पैन कार्ड (Pan Card) से जुड़ी कोई फ़ॉर्मेलिटी पूरी नहीं करते हैं तो इसकी वजह से आपको परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है. तो चलिए जानते हैं आख़िर इन डॉक्युमेंट्स से जुड़ी महत्वपूर्ण सरकारी प्रक्रियाएं क्या हैं!

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‘आधार कार्ड’ से जुड़ी सरकारी प्रक्रिया

भारत में आधार कार्ड (Aadhaar Card) सबसे महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट्स माना जाता है. हालांकि, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका ‘आधार कार्ड’ डीएक्टिवेट करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन कोई अन्य इसका ग़लत इस्तेमाल ना करे. इसलिए परिवार के लोगों को इसे डेथ सर्टिफ़िकेट से लिंक करवाना चाहिए.

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‘पैन कार्ड’ से जुड़ी सरकारी प्रक्रिया

पैन कार्ड (Pan Card) से जुड़ी प्रक्रिया थोड़ा लंबी है. अगर मृतक व्यक्ति का पैन कार्ड (Pan Card) सरेंडर करना है तो इसके लिए मृतक के क़ानूनी उत्तराधिकारी को अधिकारिक असेसमेंट ऑफ़िसर को एक एप्लीकेशन लिखनी होगी. इस एप्लीकेशन में ‘पैन कार्ड’ सरेंडर करने का कारण बताना होगा. हालांकि, पैन कार्ड सरेंडर करना अनिवार्य नहीं है. लेकिन इसे सरेंडर करन ही बेहतर है ताकि मृतक व्यक्ति के पैन कार्ड से जुड़ी जानकारी का कोई ग़लत  इस्तेमाल ना कर सके.

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मृतक व्यक्ति के ‘बैंक अकाउंट’ भी इस प्रक्रिया के लिए बेहद अहम माने जाते हैं. इस दौरान मृतक का क़ानूनी उत्तराधिकारी उसके सभी खातों को बंद कराने और आयकर रिटर्न से जुड़े सभी मामले निपटाने के बाद मृतक व्यक्ति के पैन कार्ड को आईटी विभाग को सौंप सकता है. लेकिन ये प्रक्रिया इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से लेकर आईटी डिपार्टमेंट की सभी प्रक्रिया को भी पूरा करने के बाद ही करना चाहिए.  

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इसके अलावा मृतक व्यक्ति के ‘पैन कार्ड’ को तब तक संभालकर रखना चाहिए जब तक कि उसके सभी अकाउंट्स पूरी तरह से बंद न हो जाएं. अगर मृतक का कोई भी टैक्स रिफ़ंड चुकाना बाकी रह गया है तो ऐसे में उसके खाते तब तक डीएक्टिवेट न करें जब तक टैक्स रिफंड न आ जाए.

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