कई बार आपने देखा होगा कि कुछ लोगों को मच्छर ज़्यादा काटते हैं और उन्हीं पर मंडराते भी ज़्यादा हैं. कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? मच्छर क्यों किसी को कम तो किसी को ज़्यादा काटते हैं? अगर नहीं सोचा है तो अब सोच लो और उस वजह को भी जान लो.

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सबसे पहले ये जान लें कि मच्छर हम तक पहुंचते कैसे हैं? दरअसल, मच्छर हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन-डाई-ऑक्साइड के ज़रिए हम तक पहुंचते हैं, उन्हें 10 से 50 मीटर तक कार्बन-डाई-ऑक्साइड की बदबू आती है, जब वो इंसानों से 5 से 15 मीटर की दूरी पर होते हैं तो उन्हें इंसान दिखने लग जाते हैं. फिर पास पहुंचते ही वो विजुअल्स का इस्तेमाल करके हमारे नज़दीक पहुंच जाते हैं, इसके बाद शरीर की गर्माहट को भांप कर ये तय करते हैं कि किसे काटना है और किसे नहीं.

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अब बताते हैं कि मच्छर किसी किसी को ज़्यादा क्यों काटते हैं? इसके कई कारण होते हैं, जिनमें से एक ये है कि जिन लोगों के शरीर से लैक्टिक एसिड केमिकल की मात्रा ज़्यादा निकलती है, उन्हें मच्छर ज़्यादा काटते हैं. साथ ही कई वैज्ञानिक परीक्षणों में पता चला है कि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को भी मच्छर ज़्यादा काटते हैं. इतना ही नहीं जो लोग शारीरिक एक्टिविटी कम करते हैं उन्हें भी मच्छर ज़्यादा काटते हैं.

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इसके अलावा, अमेरिका की Public Library of Science की रिपोर्ट की मानें तो, मच्छरों का ज़्यादा काटना जींस पर भी निर्भर करता है, जैसे अगर पैरेंट्स में किसी एक को भी मच्छर ज़्यादा काटते हैं तो आपको भी मच्छर ज़्यादा काटेंगे. पैरेंट्स के अलावा भाई-बहन के साथ भी यही होता है क्योंकि जींस तो एक ही होते हैं.

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वहीं एक और रिसर्च की मानें तो, मच्छर सफ़ेद या पीले रंग के कपड़े पहने लोगों के मुकाबले चटक रंग यानि लाल, नीला, जामुनी, बैंगनी और काले रंग के कपड़े पहने लोगोंं को ज़्यादा काटते हैं. साथ ही बीयर पीने वालों को भी मच्छर ज़्यादा काटते हैं क्योंकि बीयर पीने से शरीर में इथेनॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मच्छर ज़्यादा आकर्षित होते हैं. 

अगर अब किसी को ज़्यादा मच्छर काटे तो उसे न नहाने का ताना मत देना और न ही बेफ़ज़ूल के कारण बताना.