बाएं हाथ से खाने या लिखने वालों से हर कोई ये ज़रूर पूछता है अरे तुम बाएं हाथ से काम करते हो? ये सवाल न चाहते हुए भी मुंह से निकल ही जाता है क्योंकि बायें हाथ से काम करने वाले कम ही मिलते हैं. मगर जो बाएं हाथ से लिखते हैं वो बहुत ही बुद्धिमान, ऊंची सोच वाले और उनकी याद्दाश्त बाकी लोगों से बहुत अच्छी होती है. हमारे सामने मिसाल के तौर पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, मार्क ज़ुकरबर्ग, मदर टेरेसा, रतन टाटा और बिल गेट्स जैसे लोग हैं, जो आज ज़िंदगी के बहुत ही ऊंचे मक़ाम पर बैठे हैं.

मगर सोचने वाली बात ये है कि लेफ़्ट हैंडड इतने कम क्यों होते हैं? तो उसका जवाब ये रहा:
1. अल्ट्रासाउंड

एक रिपोर्ट की मानें, तो अल्ट्रासाउंड के दौरान अजन्मे बच्चों के दिमाग़ पर गहरा असर पड़ता है, जिसके चलते बच्चे जन्म के समय नहीं मगर उसके प्रभाव से बाद में लेफ़्ट हैंडेड हो सकते हैं. मगर ऐसा बहुत कम ही होता है.
2. बच्चे के जन्म की पोजीशन पर निर्भर करता है वो लेफ़्ट हैंडेड होगा या नहीं

एक स्टडी के अनुसार, बच्चे का लेफ़्ट हैंडेड होना आख़िर के तीन महीनों में गर्भ में बच्चे की स्थिति और उसके जन्म की स्थिति पर निर्भर करता है. दरअसल, Asymmetric Placing, जब सिर ज़्यादा समय एक तरफ़ मुड़ा रहता है, तो इससे वेस्टिबुलर प्रणाली में Asymmetric उत्तेजना होती है, जिसके चलते बच्चा दाहिने हाथ का ज़्यादा इस्तेमाल करता है.
3. मानव विकास

बाएं हाथ के मुकाबले दाहिने हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बहुत होती है. हालांकि, लेफ़्ट हैंडेड या राइट हैंडेड होना जेनेटिक होता है. जुड़वा बच्चे जो एक साथ पैदा होते हैं, उनके हाथों के इस्तेमाल में भी अंतर होता है.
4. हार्मोन में परिवर्तन के चलते

चार स्टडीज़ से पता चला है कि जिन मांओं ने सिंथेटिक एस्ट्रोजन वाली दवा ली, उनके बच्चों में दूसरों के बच्चे की तुलना में लेफ़्ट हैंडेड होने की संभावना ज़्यादा थी. इस दवा का उपयोग 1940 और 1971 के बीच किया गया था. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस दवाई की वजह से भी लेफ़्ट हैंडेड बच्चे ज़्यादा होते थे. ऐसा शायद इसलिए भी अब कम हो गया है.
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