Why There Is No Snowfall In Delhi: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) का तापमान कड़ाके की ठंड के बाद अब धीरे-धीरे गर्मी की ओर बढ़ रहा है. जनवरी माह की शुरुआत से लेकर अब तक दिल्ली ने रिकॉर्डतोड़ ठंड से लोगों का हाल बेहद कर दिया है. दिल्ली ने इस साल ठंड के मामले में शिमला, मसूरी, नैनीताल और मनाली को भी पीछे छोड़ दिया है. दिल्ली में बर्फ़बारी (Snowfall in Delhi).

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इस साल दिल्ली में मिनिमम टेम्प्रेचर 1.9 डिग्री रहा, जो देश के कई हिल स्टेशनों से कहीं कम है. मौसम विभाग ने दिल्ली में तापमान गिरने के बाद ऑरेंज अलर्ट तक जारी कर दिया था. देश के कई हिल स्टेशनों पर टेम्प्रेचर 10 डिग्री होने के बावजूद वहां बर्फ़बारी (Snowfall in Delhi) हो रही है, लेकिन दिल्ली इतना कम टेम्प्रेचर होने के बावजूद बर्फ़बारी क्यों नहीं होती? 

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चलिए दिल्ली में टेम्प्रेचर कम होने के बावजूद बर्फ़बारी क्यों नहीं होती आज आपको इसके पीछे का असल कारण भी बता देते हैं-

दिल्ली का तापमान चाहे ज़ीरो डिग्री से नीचे ही क्यों न चला जाए बावजूद इसके दिल्ली में बर्फ़बारी (Snowfall in Delhi) कभी नहीं हो सकती है. दिल्लीवासियों का बर्फ़बारी का सपना, सपना ही रह जायेगा. ऐसा हम नहीं, बल्कि एक स्टडी कह रही है. 

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दिल्ली में क्यों नहीं होती Snowfall?

इस स्टडी के मुताबिक़, दिल्ली में कभी बर्फ़बारी (Snowfall in Delhi) नहीं हो सकता, चाहे तापमान माइनस में ही क्यों न चला जाये. इसके पीछे कारण है दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और मौसम संबंधी तकनीकी वजहें. दरअसल, दिल्ली की लोकेशन बर्फ़बारी वाले क्षेत्र में नहीं आती. दिल्ली में जनवरी में ठंड अपने चरम पर होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पर्वतीय इलाक़ों से बर्फ़ीली हवाएं चल रही होती हैं. इसका सीधा असर दिल्ली जैसे मैदानी इलाक़ों में देखने को मिलता है.

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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा के मुताबिक़, बर्फ़बारी एक तरह की वर्षा है, जिसे बादलों की ज़रूरत होती है. दिल्ली जैसे मैदानी इलाक़ों में भी बर्फ़बारी के लिए इसी तरह के बादलों के बनने की ज़रूरत होती है. अगर सर्दियों के दौरान दिल्ली में आसमान में बादल छाए रहते हैं, तो बादल गर्मी को रोक लेते हैं. बर्फबारी के लिए ज़मीनी स्तर पर भी तापमान Sub-Zero होना चाहिए, यानी ठंड के तापमान पर या उससे नीचे जो कि राष्ट्रीय राजधानी में बेहद कम होता है.

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आमतौर पर हिमालय या पहाड़ों में बर्फ़बारी (Snowfall) के बाद मैदानी इलाक़ों में तापमान माइनस में चला जाता है. इस दौरान ठंडी बर्फ़ीली हवाएं उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाक़ों की ओर मुड़ जाती हैं. सामान्यतः ये वायु शुष्क होती है और इसके साथ बादलों का निर्माण भी नहीं होता. इस कारण कई जगहों पर तापमान गिर जाता है, लेकिन बर्फ़बारी (Snowfall) जैसे हालात पैदा नहीं होते.

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ये है बर्फ़बारी का वैज्ञानिक कारण

भाप (Steam) के ज़रिये जब पानी ऊपर जाता है तो ये बादल में बदल जाता है और ज़्यादा ठंड पड़ने के चलते बादल में जमा पानी बर्फ़ बन जाती है. इसी वजह से बर्फ़बारी (Snowfall) और ओले (Hailstone) पड़ने की शुरूआत होती है. ओला पड़ने के दौरान बर्फ़ छोटे गोले के रूप में ज़मीन पर गिरती है. पानी की बूंदे दबने से तेज़ हवाओं के कारण ठंडी हो जाती है और यही फिर ओला बन जाते हैं. ओले क्यूम्यलोनिम्बस बादलों में बनते हैं.

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इसी वजह से नहीं गिरती दिल्ली में बर्फ़ 

जब बर्फ़बारी (Snowfall) होती है तो ये बर्फ़ के गोले की जगह क्रिस्टल होते हैं. पानी के भाप की वजह से क्रिस्टलीकृत होने पर हिमखंड (Ice Floe) बनते हैं. ऐसे में बर्फ़बारी निंबोस्ट्रैटस (Nimbostratus) बादलों में बनते हैं. इसके बाद जब तापमान गिरने लगता है तो बर्फ़बारी (Snowfall) होती है. निंबोस्ट्रैटस बादल सिर्फ़ पहाड़ों पर होते हैं और इन बादलों में पानी भरे रहने से ही Snowfall होता है. मैदानी इलाक़ों में निंबोस्ट्रैटस बादल नहीं बनते. यही वजह है कि दिल्ली समेत अन्य मैदानी इलाक़ों में बर्फबारी नहीं होती.

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