खोपड़ी जब खुरपेंची हो, तो ऐसे सवाल आना लाज़मी है. वैसे वैज्ञानिक बुद्धि खुरपेंची ही होती है. अगर ऐसा न होता, तो न्यूटन महोदय सेब गिरने के बाद उसे मस्त साइड में बैठकर खा लिए होते और हम गुरुत्वाकर्षण का मामला समझ ही न पाते. तो बस वैसे ही जब हम फ़्रिज में पानी को जमते देखते हैं, तो ज़ेहन में ये सवाल उठता है कि क्या पेट्रोल (Petrol) भी फ़्रिज में रखने पर बर्फ़ बन जाएगा?
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तो चलिए आज इसी सवाल का जवाब तलाशते हैं.
पहले द्रव के उबलने और जमने का विज्ञान समझिए
कोई भी तरल आख़िर उबलने या जमने क्यों लगता है? इसके पीछे वजह है किसी द्रव का बॉयलिंग और फ़्रीज़िंग पॉइंट. कोई भी तरल पदार्थ जिस अधिकतम तापमान पर जाकर उबलना शुरू होता है, उसे उसका बॉयलिंग पॉइंट कहते हैं और जिस न्यूनतम तापमान पर जाकर वो जमना शुरू होता है, उसे उस द्रव का फ़्रीज़िंग पॉइंट कहते हैं.
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इसका मतलब है कि अगर किसी तरल को बर्फ़ में बदलना है, तो उसे उसके न्यूनतम पॉइंट तक ले जाना होगा. तब ही वो तरल बर्फ़ बन पाएगा. मगर हर तरह पदार्थ का फ़्रीज़िंग पॉइंट एक जैसा नहीं होता है.
अलग-अलग है पानी और पेट्रोल (Petrol) का फ़्रीज़िंग पॉइंट
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सवाल ये है कि क्या फ़्रिज में पेट्रोल बर्फ़ बन पाएगा. जवाब है ‘नहीं’. क्योंकि, पेट्रोल का फ़्रीज़िंग पॉइंट -60 डिग्री सेल्सियस होता है. इतने न्यूनतम तापमान तक हमारा फ़्रिज जाता ही नहीं है. घरेलू फ़्रिज का न्यूनतम तापमान 0 से -4 तक होता है. दुकानों में आइसक्रीम जमाने के लिए जिस फ़्रीजर का इस्तेमाल होता है, उसका न्यूनतम तापमान -9 से -18 डिग्री सेल्सियस तक होता है. ऐसे में पेट्रोल को आप फ़्रिज में कितने दिन भी रखिए, वो जमेगा नहीं.