चंद्रकांत भिड़े, मुंबई में रहने वाले एक अनोखे कलाकार हैं. इनके बारे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अपने शौक़ को पूरा करने के लिए वो अपनी किस्मत की रेखाओं से भीड़ गए. और सब उन्होंने कर दिखाया अपने टाइपराइटर से. जी हां, हो गए न हैरान, लेकिन ये सच है चंद्रकांत जी ने टाइपराइटर के माध्यम से पेंटिंग को एक नया आयाम दिया है. उनकी हर पेंटिंग अपने आप में ख़ास है.

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72 वर्षीय इस कलाकार की उंगलियां जब टाइपराइटर की कीज़ पर पड़ती हैं, तो कुछ ऐसी कलाकारी होती है जिसे देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे. वो टाइपराइटर से कोई मैटर टाइप नहीं करते, बल्कि फ़ेमस पर्सनैलिटीज के पोट्रेट बनाते हैं. वो अपनी उंगलियों से ऐसा कमाल करते हैं और बिलकुल उस व्यक्ति के जैसा ही पोट्रेट बनता है. नेता और अभिनेता से लेकर क्रिकेटर्स, एनिमेशन कैरेक्टर्स और धार्मिक चित्र तक, भिड़े जी ने अपने टाइपराइटर से अभी तक कुल 150 पोट्रेट बनाये हैं .

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NDTV के अनुसार,

एक इंटरव्यू में भिड़े जी ने बताया कि मैं कई बड़ी हस्तियों के पोट्रेट बना चुका हूं, जैसे महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, चार्ली चैप्लीन, लॉरेल और हार्डी. ये मेरा शौक़, मेरा जूनून है.
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इनकी ये अनोखी कला केवल मुंबई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चंद्रकांत भिड़े के आर्टवर्क की अभी तक कुल 12 प्रदर्शनियां भी लग चुकी हैं. भिड़े ने अपनी अनोखी कला को बतौर बैंक क्लर्क 1960 में पहचाना था और तब से ही वो सेलिब्रिटी बन गए थे. हालांकि, तब केवल उनकी इस कला के बारे में मुंबई के लोग ही जानते थे.

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यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट में काम करने वाले चंद्रकांत भिड़े, बचपन से ही आर्ट स्कूल ज्वाइन करना चाहते थे और पेशेवर आर्टिस्ट बनना चाहते थे. मगर परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत न होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पाए, लेकिन उनके पिता ने उनको स्टैनोग्राफ़ी की ट्रेनिंग ज़रूर दिलवाई थी.

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वो बताते हैं कि, ‘1967 में जब मेरे बॉस ने मुझको ऑफ़िस स्टाफ़ के इंटरकॉम नंबर्स की लिस्ट टाइप करने के लिए कहा था. तब मैंने इस लिस्ट को टेलीफ़ोन की शेप में टाइप किया. जब मैंने अपने इस काम को देखा, तब मैंने सोचा कि ये तो अद्भुत है, मैं इस टाइपराइटर के ज़रिये भी आर्टवर्क बना सकता हूं. क्योंकि जिसने भी इस लिस्ट को देखा था, वो मेरी कला की तारीफ़ किये बिना रहा नहीं पाया था.’

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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने टाइपराइटर की ‘X’ Key का इस्तेमाल गणेश चतुर्थी के लिए भगवान गणेश का चित्र बनाने के लिए लिया था. इसके बाद उन्होंने दूसरी Keys का जैसे ‘W’, Dash (-), Asterisk (*), Ampersand (&) और Percentage (%) Keys का इस्तेमाल इंडिया और दूसरे देशों की महान हस्तियों के पोट्रेट बनाने के लिए करना शुरू किया.

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जहां भिड़े जी को भगवान गणेश जी का चित्र बनाने में केवल 15 मिनट का समय लगता है, वहीं किसी शख़्सियत का पोट्रेट बनाने में उनको कई घंटों का समय लग जाता है.

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दृढ़ निश्चयी भिड़े पोट्रेट बनाते वक़्त अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल उस नॉब को मज़बूती से पकड़ने के लिए करते हैं, जो प्‍लैटन को नियंत्रित करता है. और सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से वो Keys को प्रेस करते हैं. इसके अलावा वो पेज के एंगल को बदलने के लिए टाइपिंग करते हुए जल्दी-जल्दी रुकते हैं. कभी-कभी चित्र में अलग रंग का इस्तेमाल करने के लिए वो लीवर को भी प्रेस करते हैं, जैसे काले से लाल करने के लिए या किसी और रंग के लिए. साथ ही उनका पूरा ध्यान उस फ़ोटो पर भी रहता है, जिसको देखकर वो पोट्रेट बना रहे हैं, ताकि को ग़लती न हो.

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वो कहते हैं कि ‘टाइपिंग के लिए समर्पण और एकाग्रता की आवश्यकता होती है. अगर आपने एक ग़लत Key प्रेस कर दी, तो आपको दोबारा से शुरुआत करनी पड़ेगी.’ इस कंप्यूटर से बिलकुल उलट होती है, जिसमें आपके पास डिलीट करने का ऑप्शन होता है. ऐसा कई बार हुआ जब मैंने ग़लती की और मुझे दोबारा से पूरा काम करना पड़ा.’

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पिछले कई वर्षों में 72 वर्षीय ये कलाकार अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार जैसे कई इंडियन एक्टर्स के पोट्रेट के अलावा वो अमेरिकन कार्टून कैरेक्टर जैसे मिक्की माउस और आर्ची के चित्र भी बना चुके हैं. अगर बात करें क्रिकेटर्स की तो वो ब्रायन लारा और सचिन तेंदुलकर को टाइपराइटर से कागज़ पर उतार चुके हैं. इन क्रिकेटर्स के घुंघराले बालों को बनाने के लिए उन्होंने सैंकड़ों ‘@’ सिंबल्स का यूज़ किया.

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कई न्यूज़पेपर्स और कई चैनल्स पर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके चंद्रकांत भिड़े अपने आर्टवर्क को कभी बेचते नहीं हैं, और न नहीं पोट्रेट बनाने का कोई आर्डर लेते हैं. अब वो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ब्रिटेन की महारानी Elizabeth II और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोट्रेट बनाना चाहते हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक भिड़े जी ने जितने भी आर्टवर्क बनाए हैं, वो सभी उन्होंने उसी टाइपराइटर से बनाये हैं, जो वो 30 साल पहले यूनियन बैंक में यूज़ करते थे. बैंक ने उनको ये टाइपराइटर 90s में उनके रिटायरमेंट के वक़्त केवल 1 रुपये में उपहार स्वरुप दिया था.

वो कहते हैं, ‘टाइपिंग एक कला है और मुझे इस टाइपराइटर से बहुत सारी चीज़ें मिली हैं.’