Citizenship Amendment Act (CAA) के ख़िलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों ने ये सवाल उठाने शुरू कर दिए थे कि आख़िर देश के नागरिकता को कैसे परिभाषित किया जाएगा. साथ ही इन विरोध प्रदर्शनों ने भारतीय पुलिस किस तरह काम करती है इस पर भी सवाल उठने लगे थे. प्रदर्शनकारियों पर जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की थी उसकी कई राजनीतिक पार्टियों ने आलोचना की थी. 

साल 2019 में Common Cause और Centre For The Study Of Developing Societies (CSDS) ने मिलकर भारतीय पुलिस पर एक सर्वे किया था. इसमें उनके विचारों और प्रोफ़ेशनल ट्रेनिंग को लेकर कई चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं.

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इस सर्वे में देश के 21 राज्यों के 11,834 पुलिस वाले शामिल हुए थे. इस रिसर्च में पुलिस वालों के कई पुर्वाग्रहों और एक ख़ास समुदाय के प्रति उनके रवैये को लेकर कई हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं. चलिए एक नज़र भारतीय पुलिस अपने नागरिकों के बारे में क्या सोचती है उस पर भी डाल लेते हैं…

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इस तरह की सोच रखने वाली पुलिस क्या नागरिकों के भले के लिए स्वतंत्र रूप से काम कर पाएगी?


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