हॉस्पिटल में आपने डॉक्टरों को लोगों का इलाज करते हुए देखा होगा. आज हम आपको एक ऐसे ही डॉक्टर से मिलवा रहे हैं, जो सुबह से ही लोगों का इलाज करने के लिए अपने क्लीनिक पर पहुंच जाता है और देर शाम तक अपना काम करता रहता है.

पुणे के डॉ. बलवंत घटपांडे पहली नज़र में आपको थोड़े उम्रदराज़ नज़र आएंगे, पर जब आप इनकी उम्र के बारे में किसी से पूछेंगे, तो खुद भी अचम्भित हो जायेंगे कि इस उम्र में भी उनके जज़्बे को देख कर आप भी उनके फैन बन जायेंगे.

15 मार्च 2017 को अपना 102वां जन्मदिन मनाने वाले डॉ. बलवंत देश के सबसे उम्रदराज़ डॉक्टर हैं, जो आज भी अपने पारंपरिक एलोपैथिक ज्ञान से लोगों का इलाज करते हैं. अपने काम के बारे में डॉ. बलवंत का कहना है कि वो कभी अपने काम से रिटायर नहीं होना चाहते. उनका कहना है कि ‘मैं अपनी आखिरी सांस तक लोगों का इलाज करना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि मेरी मौत भी काम करते वक़्त डिस्पेंसरी में ही हो.’

डॉ. बलवंत आगे कहते हैं कि ‘एक डॉक्टर का काम बहुत ही आदर्श वाला माना जाता है, जिसके ज़रिये आप दूसरों की मदद करने के साथ ही खुद को संतुष्ट महसूस करते हैं. इन सब के अलावा ये काम आर्थिक रूप से भी सुरक्षा प्रदान करता है.’ बलवंत का परिवार भी इसी मूल्यों का निर्वाहन कर रहा है.

उनके बेटे सवानंद का कहना है कि ‘वो अपने काम के प्रति बहुत वफ़ादार हैं. वो इसमें माहिर भी हैं.’ बलवंत के पोते चैतन्य का कहना है कि उनके दादा जी Workoholic हैं. चैतन्य का कहना है कि वो हफ़्ते में साथ दिन और 10 घंटे काम करते हैं. जिस समय काम नहीं होता, बलवंत मेडिकल जर्नल्स और अखबार पढ़ते हुए अपना समय बिताते हैं.

बलवंत ने अपना करियर 1941 बतौर डॉक्टर शुरू किया था. अपने स्वास्थ्य के बारे में बलवंत का कहना है कि वो हर रोज़ सुबह उठ कर एक घंटा एक्सरसाइज़ करते हैं. उसके बाद ठंडे पानी से नहाते हैं. उनका कहना है कि वो 1995 के बाद कभी डॉक्टर के पास नहीं गए. उस समय एक दुर्घटना में उनके शरीर में एक फ्रैक्चर आ गया था.

राजपाठक घनश्याम, बलवंत के मरीजों में से एक हैं. वो कहते हैं कि ‘पिछले 35 सालों से डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए आते हैं और उन पर 101% भरोसा करते हैं.