आपने ये तो सुना ही होगा कि कुछ नया करने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती.
आपको अपने आस-पास 102 साल के लोग Sky Diving करते नज़र आएंगे तो वहीं दूसरी ओर 107 उम्र के लोग वातावरण के लिए दौड़ लगाते नज़र आजाएंगे. वहीं दूसरी और 99 की उम्र में लोग स्कूल जा रहे हैं तो कुछ नया सीखने निकल पड़े हैं.
केरल की 105 वर्षीय भागीरथी अम्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

भागीरथी ने 3 साल की उम्र में मां के गुज़र जाने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी.
उन्होंने अपने भाई-बहनों को पाल-पोस कर बड़ा किया. बाद में अपने पति के गुज़र जाने के बाद उन्होंने एक सिंगल मदर के रूप में अपने 6 बच्चों को पाला.
हाल ही में दादी ने केरला स्टेट लिटरेसी मिशन प्रोग्राम के अंतर्गत दोबारा से पढ़ना शुरू किया. उन्होंने चौथी क्लास में दाख़िला लिया है.

लिटरेसी मिशन प्रोग्राम के लोगों का कहना है कि भले ही वो 100 के ऊपर की हों मगर उनकी यादाश और सुनने की क्षमता बहुत है.
भागीरथी की सबसे छोटी बेटी ने उनकी पढाई में बहुत मदद की है.

दादी को लिखने में भी काफ़ी तक़लीफ़ हो रही थी. मगर उन्होंने हार नहीं मानी. मात्र तीन दिनों के अंदर उन्होंने मलयालम, गणित और पर्यावरण के विषयों के लिए पढ़ा भी और पास भी हो गईं.
भागीरथी अम्मा उन हजारों लोगों के लिए एक आदर्श बन गई हैं जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं.