सोचिए आपने कोई परीक्षा दी हो और उस परीक्षा का जब रिज़ल्ट आया तो आपके ज़ीरो मार्क्स भी न मिले हो बल्कि आपकी मार्कशीट पर मोटे अक्षरों में लिखा हो Absent. यकीनन कोई भी अचरज में पड़ जाएगा. आख़िर जब परीक्षा दी है, तो Absent कैसे लिखा हुआ आ सकता है?
लेकिन एक ऐसी ही त्रासदी उत्तर प्रदेश के एक छात्र के साथ हुई है. आज़मगढ़ जिले के भगवानपुर गांव के छात्र अवनीश यादव को हर एग्ज़ाम देने के बावजूद स्कूल ने उसे सभी विषयों में अनुपस्थित बताते हुए फ़ेल कर किया
अवनीश ने जब प्रिंसिपल से पूछा, तो जवाब मिला मैंने तुम्हारे नंबर भेजे ही नहीं.
चिल्ड्रेन सीनियर सेकंड्री स्कूल, आज़मगढ़ में पढ़ने वाले अवनीश ने इस साल 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी, लेकिन मार्कशीट देखकर अवनीश हैरान रह गया.
अवनीश को किसी भी सब्जेक्ट में नंबर ही नहीं मिले. अवनीश की मार्कशीट में हर सब्जेक्ट के आगे Absent लिखा हुआ है. अवनीश को हर सब्जेक्ट में E2 ग्रेड मिला है.
अवनीश कहते हैं कि मेरे पिता एक किसान हैं, गरीब किसानों के बच्चों को पढ़ाई में मदद करने वाली एक संस्था, जो पूरे साल की फ़ीस की रसीद दिखाने पर मदद करती है, उसके लिए जब मैंने स्कूल से फ़ीस रसीद मांगी तो मुझे वो भी नहीं दी गई. साथ ही साथ मुझे जानबूझ कर परीक्षा में फ़ेल कर दिया गया.
अवनीश ने जब अपनी फ़ीस की रसीद के लिए स्कूल वालों से बात की तो उसके साथ काफ़ी बुरा बर्ताव किया गया. जब वह दूसरी बार रसीद मांगने गया तो उसे फ़ीस रसीद के साथ TC भी थमा दी गई. स्कूल वालों ने कहा कि अवनीश के पिता ने स्कूल के अधिकारियों के साथ बदसलूकी की, जिसकी वजह से प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा.
इस तरह बिना वजह के TC दिए जाने के बाद अवनीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था. दोनों में से किसी ने भी अभी तक इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया है. पूरा मामला राष्ट्रीय बाल अधिकर संरक्षण आयोग (NCPCR) के पास पहुंचा, तो आयोग ने मामले में स्कूल से कहा कि अगर बच्चे के पिता ने किसी भी तरह का दुर्व्यवहार किया भी है, तो इसकी कोई सज़ा बच्चे को नहीं दी जा सकती है.
CBSE ने भी स्कूल प्रशासन को लताड़ते हुए पूछा कि बोर्ड के नियमों की अनदेखी करते हुए अवनीश को टीसी कैसे दी गयी? CBSE ने स्कूल को अवनीश को दोबारा एडमिशन देने और 10वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठाने के आदेश दिए. अवनीश ने परीक्षा भी दी और उसके सभी विषय में ज़ीरो मार्क्स भी आए. क्या यही एक स्कूल का दायित्व होता है अपने छात्रों के प्रति?
यह दुर्भाग्य है इस देश का कि एक स्कूल ऐसा भी है, जो अपने छात्र से बदला लेने के लिए उसे फ़ेल कर देता है. इस संदर्भ में जब अवनीश ने अपने स्कूल प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने उसे कहा कि स्कूल की ओर से उसके मार्क्स बोर्ड को भेजे ही नहीं गए. ये कहकर उन्होंने फ़ोन काट दिया.
सारी बात अवनीश ने अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर शेयर की है.
अवनीश इस छोटी सी उम्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जिस मुस्तैदी से लड़ रहा है, ग़ज़ब पोस्ट उसके ज़ज्बे को सलाम करता है.