हर साल 12 जून को World Day Against Child Labour इस उद्देशय मनाया जाता है कि लोगों में बाल मज़दूरी को लेकर जागरूकता फ़ैलाई जा सकें. कोशिश ये होती है कि सरकारों, नियोक्ताओं, श्रमिक संगठनों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की तरफ़ खींचा जा सकें.

2011 के जनगणना के मुताबिक़ भारत में 5-14 साल की उम्र वाले 1 करोड़ से ज़्यादा बच्चे मज़दूरी करने को मजबूर हैं. इनमें से क़रीब 45 लाख लड़कियां हैं जबकि 56 लाख लड़के हैं. 

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में बाल मज़दूरी के सबसे ज़्यादा प्रचलित है. इन बाल मज़दूरों से लगभग हर क्षेत्र में काम करवाया जाता है, मसलन खनन, पटाखा और माचिस उद्योग, चाय बागान, इत्यादि. असंगठित क्षेत्रों में बाल श्रम के तो आप ख़ुद साक्षी होंगे. 

स्कूल में पेन और पेंसिल पकड़ने की जग़ह अपने नन्हें हांथों से प्लेट साफ़ करते हुए इन बच्चों की व्यथा पर हज़ारों पन्ने रंगे जा सकते हैं. मगर जो बात हज़ारों शब्द नहीं कह पाते वो सिर्फ़ कुछ तस्वीरें कह जाती है.

तस्वीरें देखते हुए आप अपने बच्चों को मज़दूरी करते इन बच्चों की जगह रख के कल्पना करियेगा उनके दर्द की. ऐसा इसलिए क्योंकि सच्चाई पर हर बार मीठी चाशनी नहीं चढ़ाई जा सकती और न ही उसे पॉज़िटिविटी के सांचे में फ़िट किया जा सकता है. 

1. सिगरेट के छल्ले! 

India Today

2. फ़ैक्ट्री वर्कर 

Aastha Nishtha Foundation

3. काला भविष्य 

thelegitimatenews.com

4. कचरा बीनते बच्चे! देश के सभी हिस्सों में ये नज़ारा आम है. 

avacreative.ca

5. चाय की टपरी से लेकर ढाबों तक सिमटी ‘छोटू’ की दुनिया  

thelogicalindian.com

6. देश के निर्माण में जाने वाली ईंटों का बोझ 

NewsClick

7. अभ्रक की ख़ानों में मरने वालों बच्चों की मौत के 90% मामलों की रिपोर्ट तक नहीं की जाती है

thelogicalindian

8. छोटी-छोटी वर्कशॉप्स में वर्क-फ़ोर्स 

Millennium Post

9. खदानों की भेंट चढ़ता बचपन  

englishforums

10. मजबूर-मज़दूर

Hindustan Times

11. ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना? 

Wikipedia

12. कामगार! 

businessinsider.in

समाज में बदलाव की शुरुआत अपने आस-पास के बदलाव के साथ शुरू होती है.