कर्नाटक के रायचुर ज़िले में पिछले साल भयंकर बाढ़ आई थी. इस बाढ़ में फंसी एक एंबुलेंस को रास्ता दिखा कर उसे पुल पार करवाया था एक 12 साल के बच्चे वेंकटेश ने. तब उनके साहस की चर्चा चारों तरफ हुई थी और अब आने वाली 26 जनवरी को उन्हें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

भारतीय बाल कल्याण परिषद ने बीते मंगलवार को देश के अलग-अलग हिस्सों से 22 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की है. इसमें कर्नाटक के इस साहसी बालक वेंकटेश का नाम भी शामिल है. कर्नाटक के श्रम विभाग के आईएएस सचिव पी. मणिवन्न ने इस पुरस्कार के लिए उनका नाम परिषद को भेजा था.

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वेंकटेश छठी कक्षा के छात्र हैं, जो हिरेरायानकुंपी गांव के रहने वाले हैं. पिछले साल अगस्त में जब कृष्णा नदी में बाढ़ आई थी, तब इस नदी पर बना पुल पूरी तरह जलमग्न हो गया था. उस समय पानी के कारण एक एंबुलेंस जिसमें एक शव और चार बच्चे मौजूद थे, के ड्राइवर को रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था.

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ड्राइवर को बाढ़ के पानी में रुका देख वेंकटेश ने सारा माज़रा समझ लिया और चल पड़ा एंबुलेंस को रास्ता दिखाने. चूंकि वेंकटेश वहीं रहते थे इसलिए उन्हें पता था कि सड़क का रास्ता किधर है. वो ड्राइवर को इशारा करता रहा और एंबुलेंस को बाहर निकालवाने में मदद की.

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उनके इस साहसिक कार्य के लिए स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ज़िले के डिप्टी कमिश्नर ने उन्हें सम्मानित भी किया था. उनके इस साहसिक कार्य का वीडियो वायरल होने के बाद उनके घर वालों को इस बारे में पता चला था. उनके भाई भीमराया के अनुसार, जब उनका ये वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ था, तब वेंकटेश की मां ने उन्हें ख़ूब डांट लगाई थी. लेकिन बाद में मीडिया में जब उसकी तारीफ़ सुनी तो उसकी बहुत ही सराहना की थी.

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वेंकटेश के अलावा कर्नाटक की 9 साल की आरती को भी वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने मैदान में खेल रहे अपने भाई को साहस पूर्वक एक गाय से बचाया था, जो उसे मारने के लिए बढ़ रही थी.

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