देशभर में इन दिनों कोरोना वायरस से लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं. लेकिन इस देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो कोरोना से नहीं, बल्कि भूख, प्यास और बदहाली से मर रहा है. देशभर में लॉकडाउन की सबसे अधिक मार ग़रीब मज़दूर वर्ग पर पड़ी है. ये लोग बस किसी तरह जीने को मजबूर हैं. 

economictimes

लॉकडाउन के दौरान मेट्रो शहरों में मज़दूरी करने वाले हज़ारों मज़दूर खाली पेट सैकड़ों किमी पैदल चलकर अपने घरों को जाने को मजबूर हैं. इस दौरान कई लोग भूख-प्यास से अपनी जान भी गंवा बैठे हैं. इसी तरह की एक दर्दनाक ख़बर छत्तीसगढ़ से भी आई है. 

moneycontrol

ये 12 साल की उस मासूम आदिवासी बच्ची की दर्दनाक कहानी है, जो तेलंगाना से 100 किमी पैदल चलकर छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित अपने घर वापस आ रही थी. लेकिन घर से मात्र 11 किमी पहले ही उसने भूख, प्यास और थकान से दम तोड़ दिया. 

indiatoday

छत्तीसगढ़ के बीजापुर की रहने वाली 12 वर्षीय जमालो मदकम 2 महीने पहले ही अपने कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ तेलंगाना के एक मिर्ची फ़ार्म में काम करने गई थी. जमालो कुछ पैसे कमाकर अपने ग़रीब परिवार की मदद करने के इरादे से तेलंगाना गई थी, लेकिन इसके लिए उसे जान गंवानी पड़ी.   

reuters

जानकारी दे दें कि छत्तीसगढ़ की आदिवासी आबादी में से अधिकतर लोग हर साल तेलंगाना के खेतों में जाकर मिर्च तोड़ने का काम करते हैं. 

बताया जा रहा है कि लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही 16 अप्रैल को जमालो 13 अन्य लोगों के साथ तेलंगाना के पेरुरु गांव से बीजापुर स्थित अपने गांव के लिए निकली थी. 13 लोगों के इस ग्रुप में 3 बच्चे और 8 महिलाएं भी थीं. इस दौरान लगातार 3 दिन तक चलने के बाद भूख-प्यास और थकावट के कारण 18 अप्रैल की सुबह 8 बजे के क़रीब इस मासूम बच्ची की मौत हो गई. 

deccanherald

इस दौरान ग़रीब मज़दूरों का ये ग्रुप जमालो की कोई मदद नहीं कर सका. इन लोगों के पास मोबाइल फ़ोन तक नहीं था, जिससे कि वो किसी को फ़ोन कर मदद मांग सकें. इसके बाद ये लोग जमालो की बॉडी को लेकर किसी तरह बीजापुर की सीमा पर स्थित भंडारपाल गांव तक पहुंचे. इस दौरान गांव वालों की मदद से इन महिलाओं ने जमालो के घरवालों को उसकी मौत की सूचना दी. 

telegraphindia

इस दौरान भंडारपाल के ग्रामीणों ने जमालो की मौत की ख़बर पुलिस को दी. इसके बाद बीजापुर की एक मेडिकल टीम ने इन सभी लोगों को सही सलामत उनके घरों तक पहुंचाया. जबकि जमालो के शरीर को एक मुर्दाघर पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया. जमालो की मौत के अगले दिन उसकी कोरोनो रिपोर्ट निगेटिव आई थी. 

indianexpress

बेहद ग़रीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली 12 साल की जमालो, अंदोराम और सुकामाती मडकम की इकलौती संतान थी. सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जामलो के परिवार को आर्थिक मदद के तौर पर 1 लाख रुपये देने की घोषणा की