हम मौज-मस्ती और अपनी शौक के आगे काफ़ी चीज़ें नज़रअंदाज़ करते हैं. हम पर्यावरण को बचाने का डंका पीटते हैं, पर वहां जहां हमें कुछ करना न पड़े, जैसे सोशल मीडिया पर ज्ञान देना या पर्यावरण दिवस पर पौधा लगाना.

बीते दिनों मुम्बई से 90 किलोमीटर दूर Ashane गांव के भिवपुरी झरने से करीब 2.5 टन कूड़ा निकाला गया, जिसमें अधिकतर शराब की बोतलें थीं. मुम्बई के NGO, Environment Life के करीब 125 सदस्यों ने ये कार्य किया. इससे पहले ये NGO करीब आठ झरनों के पास सफ़ाई कर्य कर चुका है. इन झरनों में Nerul के पास वाले Anandwadi, Jummpatti, Tapalwadi, Khopoli–Zenith, Vasai–Chinchoti, Kondeshwar और Pandavkada शामिल थे. इस NGO ने वहां के लोगों से झरनों के पास के इलाकों में शराब न पीने की और न ही पर्यटकों को पीने देने की मांग की.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस कूड़े से जानवरों और पेड़-पौधों पर बुरा असर पड़ता है. प्लास्टिक और कांच की बोतलें जानवरों को ज़ख्मी या बीमार कर देती हैं.

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Environment Life के Head Coordinator धर्मेश बरई ने बताया कि-

इस पूरे प्रोजेक्ट में 5000 से भी ज़्यादा लोग थे, फिर भी शराब की बोतलें इकट्ठा करना मुश्किल हो रहा था. हमने बोतलों से 120 बड़े बैग भरे फिर भी कूड़ा कम नहीं था. ये पूरे कूड़े का करीब 10% ही था. इसके अलावा वहां चिप्स के पैकट, स्ट्रॉ, थर्माकोल की प्लेट, चम्मच और कपड़ों के टुकड़े भी मिले.

गांव के लोग कई बार इन बोतलों और कूड़े की वजह से ज़ख्मी हो जाते हैं. धर्मेश ने राज्य सरकार को शिकायत दर्ज कराते हुए मांग की है कि पर्यटक स्थल वाले झरनों के पास शराब पीना पूरी तरह बैन किया जाए.