बचपन से एक बात सुनी है, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. दृढ़ इच्छाशक्ति का एक और उदाहरण पेश किया है कर्नाटक की 13 वर्षीय H.Mahankali ने. सरकारी स्कूल में कक्षा 7वीं में पढ़ने वाली Mahankali ने अनशन करके अपने घर पर टॉयलेट बनवाया.

Mahankali को ग्राम पंचायत के एक Awareness Programme में टॉयलेट की अहमियत का पता चला और उसने बल्लारी स्थित अपने घर पर अन्न-जल त्याग दिया, जब तक उसके घर पर भी टॉयलेट न बन गया.

इस कदम के बाद Mahankali को अपने गांव का Icon घोषित किया गया है.

2015-16 में ही Mahankali के घर पर टॉयलेट बनना था, पर ऐसा हुआ नहीं. फरवरी के पहले हफ़्ते में गांव में जागरुकता अभियान के तहत प्रोग्राम आयोजित किया गया, वहां से घर लौटकर उसने खाना-पीना छोड़ दिया. उसके माता-पिता ने उससे परिक्षाओं का हवाला देकर समझाने की कोशिश की, पर Mahankali किसी भी तरह राज़ी नहीं हुई.

धीरे-धीरे ये बात ग्राम पंचायत और स्थानिय अधिकारियों के दफ़्तर तक पहुंची, सभी ने उससे उपवास तोड़ने को कहा, पर Mahankali अपनी बात पर अडिग रही. Mahankali को रोकने में असमर्थ अधिकारियों ने उसके घर के बाहर टॉयलेट बनवाना शुरू किया और फरवरी के दूसरे हफ़्ते तक टॉयलेट बन गया.

Mahankali के पिता H.Mallesh ने कहा

हमारा घर जर्जर हालत में है. जब मेरी बेटी ने खाना-पीना छोड़ दिया, तो मुझे शर्म आने लगी. मैंने उसे समझाने की कोशिश की. ग्राम पंचायत के प्रमुख, सेक्रेट्री और दूसरे अधिकारी मेरे घर आये और उसे समझाने की कोशिश की, पर वो नहीं मानी. हारकर उनको टॉयलेट बनवाना पड़ा. अब लोग उसके जज़्बे की बातें करते हैं.

Mahankali ने कहा,

स्कूल में Toilet Awareness Programme से मुझे प्रेरणा मिली. मैंने बिना सोचे-समझे आंदोलन शुरू किया था, पर मुझे ख़ुशी है कि इससे मेरे घर पर टॉयलेट बन गया. गांव के बाकी लोगों को भी खुले में शौच को लेकर कड़े कदम उठाने चाहिए.
The Hindu

Mahankali के जज़्बा हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. ऐसे ही कड़ियां जोड़कर एक दिन देश पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त देश बन जायेगा.

Source- TOI