‘वो मुर्दों के शहर में ज़िंदगी तलाश कर रहे थे

 वो जो गुमराह हुए फिर वापस लौट न पाए’

‘अंकल को सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी. हम उन्हें कई अस्पतालों में ले गए लेकिन उनमें से किसी के पास एक भी बेड नहीं था. बोरिंग ऐंड लेडी करजॉन अस्पताल उन्हें एडमिट करने से पहले कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट चाहता था लेकिन टेस्ट नहीं हो सका.’  

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ये कहना है एक 52 वर्षीय शख़्स के भतीजे का, जिसके अंकल की मौत लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते हो गई.   

बेंगलुरु में नागरथपेट निवासी एक शख़्स बीमार थे, उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी. उन्होंने अपने भतीजे के साथ 18 अस्पतालों के चक्कर लगाए. लेकिन किसी एक ने भी उन्हें एडमिट नहीं किया. हर जगह से बस एक ही बात सुनने को मिली कि बेड खाली नही हैं. आख़िरकार अस्पताल के गेट पर ही उनकी मौत हो गई.  

उनके भतीजे ने Indiatoday से बात करते हुए कहा कि उनके अंकल का बुरा हाल था और वो कोविड-19 जैसे लक्षणों से पीड़ित थे. उन्होंने एक एम्बुलेंस बुक की और कई निजी और एक सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन किसी ने उन्हें भर्ती नहीं किया.  

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चौंकाने वाली बात ये है कि अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि अगर उन्होंने अपने अंकल का टेस्ट कराया और उनकी हालत गंभीर निकली तो उन्हें आईसीयू में एडमिट करना होगा, जो उनके पास ख़ाली नहीं है. यहां तक कि अपोलो, फ़ोर्टिस, मणिपाल जैसे निजी अस्पताल कथित रूप से बेड और आईसीयू की कमी के कारण उनके अंकल का इलाज करने के लिए तैयार नहीं थे.  

उनके भतीजे ने क़रीब 50 अस्पतालों में अपने अंकल को एडमिट कराने के लिए कोशिश की, जिनमें 18 अस्पतालों के चक्कर लगाए, 32 में कॉल किया लेकिन हर जगह से न सुनने को मिला.  

रविवार सुबह 4.30 बजे वे घर लौट आए. उन्होंने घर पर ही ऑक्सीज़न सिलेंडर की व्यवस्था की और इलाज शुरू किया. उन्होंने राजाजीनगर में एक निजी प्रयोगशाला में टेस्ट भी कराया, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को आनी थी. हालांकि, रविवार को उनके अंकल की तबियत काफ़ी ख़राब हो गई, जिसके बाद एक बार फिर अस्पताल में उन्हें एडमिट कराने की कवायद शुरू हुई.  

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‘हमने अस्पतालों के आगे रहम की गुहार लगाई, उनके आगे गिड़गिड़ाए लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. ये मानवता के मरने जैसा था. उन्होंने हमें एंबुलेंस का दरवाज़ा तक ख़ोलने नहीं दिया.’  

आख़िरकार बोरिंग हॉस्पिटल उनके अंकल को गंभीर हालत में एडमिट करने के लिए तैयार हो गया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वेंटिलेटर पर रखने के महज़ 10 मिनट में उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि वो अभी तक इस बात से हैरान है कि ये तो महज़ आपदा की शुरुआत है और सरकार ने अब तक इससे निपटने के लिए कोई इंतज़ाम नहीं किए हैं.   

बता दें, कर्नाटक सरकार ने सोमवार को बेंग्लुरु में निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को कोविड-19 मरीज़ों के इलाज के लिए 2,500 अतिरिक्त बेड रखने के निर्देश दिए हैं.