कहते हैं कि इतिहास बदला नहीं जा सकता, पर सरकार चाहे तो ऐतिहासिक स्थान बदल सकती है. 18वीं शताब्दी में बने टीपू सुल्तान के शस्त्रग्रह के साथ भी यही हो रहा है. लगभग 225 साल पुराना ये शस्त्रग्रह टीपू सुल्तान द्वारा बनवायी गयीं 10 इमारतों में से एक है. यहां टीपू सुल्तान बारूद और हथियार रखते थे. बेंगलुरु और मैसूर के बीच में बना ये शस्त्रग्रह, Srirangapatna में है.

इस जगह पर रेलवे ट्रैक बनाने की तैयारी हो रही है. इस कारण इस पूरे शस्त्रग्रह को नींव से उखाड़ कर 130 मीटर दूर रखा जा रहा है. इस शस्त्रग्रह को दिल्ली की एक इजीनियरिंग फ़र्म और अमेरिकी कंपनी Wolfe मिलकर कर हटा रही हैं. लगभग 1000 टन वजनी ये शस्त्रग्रह शुक्रवार तक दूसरी जगह पर शिफ़्ट हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए पिछले पांच साल से बात चल रही है. बेंगलुरु और मैसूर के बीच ट्रेन ट्रैफ़िक बढ़ चुका है, जिसकी वजह से यहां डबल लाइन बनाई जा रही है.

मैसूर रेलवे डिवीज़न के उप-मुख्य अभियंता रविचंद्र ने बताया कि रेलवे ट्रैक ठीक शस्त्रग्रह से गुज़रेगी. इस मार्ग पर रोज़ 4000 लोग यात्रा करते हैं. ये इसलिए हटाया जा रहा है, क्योंकि आस-पास बाकी इमारतें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अतंर्गत आती हैं और उन्हें नहीं हटाया जा सकता है.