लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों में इस बार कई बड़े उलटफ़ेर देखने को मिले. कई दिग्गजों को युवा उम्मीदवारों के सामने घुटने टेकने पड़े. युवाओं ने भी चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. इसी का नतीजा है कि सबसे कम उम्र की आदिवासी महिला इस बार संसद पहुंच रही है.

बात कर रहे हैं बीजेडी सांसद चंद्राणी मुर्मू की. ओडिशा की क्योंझर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर संसद पहुंचने वाली चंद्राणी सबसे कम उम्र की महिला सांसद बन गई हैं. चंद्राणी इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं.

चंद्राणी को राजनीति का ज़्यादा अनुभव नहीं है. 2017 में उन्होंने भुवनेश्वर से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की. इसके बाद चंद्राणी नौकरी ढूंढ रही थी, तभी उन्हें बीजेडी की ओर से टिकट की पेशकश की गयी. चंद्राणी ने पार्टी के इस प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और चुनाव मैदान में उतर गईं.

क्योंझर देश के सबसे पिछड़े ज़िलों में से एक है. इस ज़िले में आदिवासी जनसंख्या अधिक है. यही कारण रहा कि बीजेडी ने बेहद कम अनुभवी चंद्राणी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया. चंद्राणी ने यहां से दो बार के बीजेपी सांसद अनंत नायक को 66,000 से अधिक वोटों से हराया.

The People TV से बातचीत में चंद्राणी ने कहा कि-
‘मैं हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करती हूं. राजनीति में कदम रख ही लिया है, तो अब मैं जनता के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहूंगी. इसके बावजूद मेरी जो पहचान है, हमेशा वही बने रहने की पूरी कोशिश करूंगी.’
कौन हैं चंद्राणी मुर्मू?

चंद्राणी के माता-पिता सरकारी नौकरी में हैं. चंद्राणी के परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं है. 2017 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद चंद्राणी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थी. सफ़लता नहीं मिली तो वो नौकरी तलाशने लगीं, इसी दौरान उनके एक जानकार ने बीजेडी में शामिल होने का ऑफ़र दिया. इसके कुछ ही समय बाद उन्हें पार्टी ने चुनाव लड़ने का ऑफ़र भी दे दिया.

NDTV से बातचीत में चंद्राणी ने कहा कि, चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से बहुत सारा प्यार मिला. जीत के बाद अब मैं अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करुंगी. उनकी समस्याओं का समाधान करने की पूरी कोशिश करुंगी’.

17वीं लोकसभा में सबसे ज़्यादा महिलाएं संसद पहुंची हैं. इनमें से सबसे अधिक 7 सांसद ओडिशा से हैं. जिनमें से 5 बीजू जनता दल से, जबकि 2 बीजेपी से हैं.