एक बार फिर दिल्ली शर्मसार हो गयी है, राजधानी में फिर एक रेप हुआ है, और इस बार शिकार बनी है तीन साल की एक मासूम.
6 साल की एक बच्ची न सो पा रही है, न ही खा पा रही है. वो बस उस आदमी का नाम बड़बड़ा रही है, जो उसकी छोटी बहन को एक अंधेरी गली में ले गया था. वो दिमागी रूप से अस्वस्थ है, वो सबको बताने की कोशिश करती रही कि उसकी बहन को कोई ले गया है, पर किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया.
दिल्ली के सराय रोहिला इलाके की घटना है, मंगलवार को तीन साल की एक बच्ची का अपहरण किया गया, उसका रेप किया गया और जब लगा कि वो मर गयी है, तो उसे एक गटर में फेंक दिया गया. 9 घंटे तक बच्ची वहां पड़ी रही.
बच्ची के साथ दरिंदगी करने वाला शख्स 35 वर्षीय बलबीर है, जिसे बच्ची की बड़ी बहन की गवाही पर पकड़ा गया. वो बच्ची को चॉकलेट दिलाने के बहाने उठा ले गया था. परिचित था, इसलिए बच्ची भी उसके साथ चली गयी. जब उसे गिरफ्तार किया गया, तब भी वो नशे में धुत था, पुलिस को उसकी शर्ट पर खून के धब्बे भी मिले.
जब बच्ची को खोजा गया, तो वो रेलवे ट्रैक के किनारे एक गटर में अविचल पड़ी मिली, उसे अस्पताल ले जाया गया और चमत्कारी रूप से वो इस दरिंदगी के बाद भी ज़िन्दगी से जंग नहीं हारी. जैसे ही उसे होश आया, वो रो कर अपनी मां के सीने से लग गयी. बच्ची को गला दबा कर मारने की कोशिश भी की गयी थी. ये सब करने वाला कोई और नहीं, बल्कि बच्ची के पिता के साथ काम करने वाला एक आदमी ही था.
2012 के निर्भया काण्ड पर जो गुस्सा देखने को मिला था, क्या अब वो ठंडा हो गया है? क्या अब हम सब ने मान लिया है कि रेप भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, ये यूं ही होता रहेगा और हम यूं ही आंखें मूंदे बैठे रहेंगे. क्या इस बच्ची की पीड़ा निर्भया की पीड़ा से कम थी, जो ये घटना हमारा आक्रोश डिज़र्व नहीं करती?
जो कहते हैं कि रेप भड़काऊ कपड़े पहनने से होता है, रात में बाहर घूमने से होता है, वो इस घटना के बारे में क्या कहेंगे? एक तीन साल की बच्ची, जो शायद ठीक से बोलना भी नहीं जानती होगी, उसने ऐसा क्या भड़काऊ किया था, जो उसके साथ ऐसी हैवानियत की गयी? आखिर कब तक हमारे अखबार रेप की ख़बरों से पटे पड़े रहेंगे?
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