देश में कोरोना महमारी का ख़तरा अभी टला नहीं है. वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही आम लोगों में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा. लेकिन इस बीच एक और ख़तरा देश पर मंडरा रहा है. वो है ‘बायोमेडिकल कचरे’ का. 

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले सात महीनों में लगभग 33,000 टन COVID-19 ‘बायोमेडिकल कचरा’ उत्पन्न किया, जिसमें महाराष्ट्र का योगदान अधिकतम (3,587 टन) है. वहीं, अक्टूबर महीने में सबसे ज़्यादा 5,500 टन से अधिक बायोमेडिकल कचरा पैदा हुआ. इसमें बड़ा भाग कोरोना वायरस महामारी के दौरान काम आने वाले उत्पादों के कचरे का है.

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कुल 32,994 टन बायोमेडिकल कचरा किया गया इकट्ठा

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल जून से लेकर अब तक पूरे देश में कोरोना वायरस से जुड़ा 32,994 टन बायोमेडिकल कचरा इकट्ठा किया गया है. इकट्ठा करने के बाद इस कचरे को देश में बने 198 कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटीज़ (CBWTFs) में भेजकर इसका निपटान किया गया. 

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बता दें, बायोमेडिकल कचरे में PPE किट, मास्क, गलव्स, शू कवर, खून से संक्रमित चीजें, ड्रेसिंग, प्लास्टर, कॉटन स्वैब, ब्लड बैग, सुईयां आदि शामिल होती हैं.

बायोमेडिकल कचरे के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर

आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र ने जून के बाद से सात महीनों में 5,367 टन COVID-19 कचरे का उत्पादन किया. इसके बाद केरल (3,300 टन), गुजरात (3,086 टन), तमिलनाडु (2,806 टन), उत्तर प्रदेश (2,502 टन), दिल्ली ( 2,471 टन), पश्चिम बंगाल (2,095 टन) और कर्नाटक (2,026 टन) कचरा पैदा किया. 

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बता दें, पिछले साल दिसंबर में क़रीब 4,530 टन कचरे का उत्पादन किया गया था, जिसमें सबसे अधिक 629 टन महाराष्ट्र का योगदान था, उसके बाद केरल (542 टन) और गुजरात (479 टन) का स्थान था. CPCB के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में दिसंबर में 321 टन COVID-19 बायोमेडिकल कचरा पैदा हुआ था.

वहीं, नवंबर में लगभग 4,864 टन COVID-19 कचरा उत्पन्न हुआ था, जिसमें महाराष्ट्र में 609 टन, केरल में 600 टन, गुजरात में 423 टन और दिल्ली में 385 टन पैदा हुआ.