6 सितंबर 2018 भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. इस दिन IPC की धारा 377(LGBTQ+ होना ग़ैरक़ानूनी है) को हटाया गया. 5 जज की एक बेंच ने अंग्रेज़ों के ज़माने के इस क़ानून को हटाया और देश के LGBTQ+ समुदाय के लोगों को पहचान दिलाई.
रिपोर्ट्स के अनुसार, CNN के फ़रीद ज़कारिया को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने माना की वो दोनों एक कपल हैं और 377 का हटाया जाना उनकी निजी जीत भी थी.
अपराधी होते हुए वक़ील बनकर कोर्ट जाकर दूसरे केस पर बहस करने का अपना मज़ा था.
-मेनका गुरुस्वामी
2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सेक्शन 377 को ग़ैरआपराधिक घोषित किया था पर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था.
हम एक कोर्ट में वक़ीलों की भूमिका निभा रहे थे और एक दूसरे कोर्ट ने Gays को दूसरे श्रेणी का घोषित कर दिया था.
-अरुंधती काटजू
Most court days you’ll find me in a sari! Something about the 6 yards makes me sit up a little straighter, collect my thoughts and energy for arguments… #SareeTwitter pic.twitter.com/U9HDEyT70C
— arundhatikatju (@arundhatikatju) July 18, 2019
अरुंधती ने बताया कि 377 के ख़त्म होने के बाद वो दोनों अपने माता-पिता के साथ सेलिब्रेट किया.