80 और 90 के दशक में बनी बॉलीवुड फ़िल्मों की वो पुलिस तो आपको याद ही होगी, जिसमें वो अपराधियों को पकड़ने के लिए बाकायदा एक प्लान बनाती है. प्लान के तहत ही अपराधियों का पीछा किया जाता है, जिसके बाद पता चलता है कि उसके कुछ साथी एक बिल्डिंग में छिपे हैं, जिसे घेर कर पुलिस अपराधियों का एनकाउंटर कर देती है और जुर्म का ख़ात्मा हो जाता है.

ऐसा ही नज़ारा असल में दिल्ली से सटे साहिबाबाद में देखने को मिला, जहां दिल्ली पुलिस ने एक मासूम को किडनैपरों की गिरफ़्त से छुड़ाने के लिए एक सीक्रेट ऑपरेशन चलाया. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन से 5 साल के विहान का बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद किडनैपर्स की तरफ़ से घरवालों के पास फ़िरौती के लिए फ़ोन आने लगे और विहान को छोड़ने के लिए उन्होंने 60 लाख रुपये मांगे.

घरवालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद विहान को किडनैपर्स से छुड़ाने के लिए पुलिस ने ऑपरेशन ‘C-River’ बनाया. ये ऑपरेशन उस जगह के नाम पर था, जहां किडनैपर्स फ़िरौती की रकम लेने के लिए आने वाले थे. पुलिस ने उन फ़ोन नंबर्स को निगरानी पर डाला, जिनसे किडनैपर्स घरवालों को कॉल कर रहे थे. इससे पुलिस को एक बात का अंदाज़ा हो गया था कि किडनैपर्स साहिबाबाद के आस-पास ही रुके हुए हैं, पर अब भी उनकी लोकेशन का पता नहीं चल रहा था.

सोमवार दोपहर पुलिस को सूचना मिली कि इस किडनैपिंग का मास्टर माइंड नितिन कुमार शर्मा बच्चे के लिए खाना लेने और एक शादी अटैंड करने दिल्ली के विवेक विहार आया हुआ है. नितिन को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम बनाई गई, जिसमें 18 लोगों को शामिल किया गया, जो 4 मोटर-साइकिल और 4 कारों में सवार हो कर नितिन का इंतज़ार करने लगे.

इस ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे इंस्पेक्टर विनय त्यागी का कहना है कि ‘शादी में नितिन ने काफ़ी ड्रिंक कर ली, जहां से निकलने के बाद वो तेज़ रफ़्तार से कार भगाने लगा. हम भी उसका पीछा करने लगे. नितिन को शक न हो, इसलिए हम अपनी कार को बार-बार आगे पीछे करते रहे. नन्द नगरी में ट्रैफ़िक जाम की वजह से नितिन हमसे आगे निकल गया, पर मोटर-साइकिल पर सवार पुलिस कर्मी उस तक पहुंचने में कामयाब रहे. सीमा पुरी पहुंचने तक नितिन को हम पर शक हो चुका था और वो हमसे छिपने की कोशिश करने लगा, पर दूसरे अपराधियों को सूचना देने से पहले ही हमने उसे पकड़ लिया.’

पुलिस ने नितिन को पकड़ कर जब सख़्ती से पूछताछ की, तो उसने बाकी किडनैपर्स और उनकी लोकेशन के बारे में बताया. इससे पुलिस को जानकारी मिली कि किडनैपर्स शालीमार सिटी की एक बिल्डिंग में पांचवी मंज़िल पर बच्चे के साथ छिपे हुए हैं.

DCP नायक का कहना है कि ‘प्लान के मुताबिक, इंस्पेक्टर विनय और एक कमांडो को नितिन के साथ फ़्लैट में करीब रात 12:30 पर भेजा गया और नितिन के ज़रिये बाकि साथियों से गेट खुलवाने को कहा. उसके साथियों ने गेट तो खोला, पर लोहे के गेट को बंद रखा. शायद उन्हें नितिन पर शक हो गया था कि उसके साथ कोई और भी है.’

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विनय त्यागी का कहना है कि ‘हमने उन्हें बताया कि पुलिस ने उन्हें घेर लिया है और उनका बच पाना मुमकिन नहीं है. तभी उन्होंने हम पर गोली बरसाना शुरू कर दी. हमने भी उनकी गोलीबारी का जवाब दिया. इसमें एक किडनैपर के गले पर गोली लगी, जबकि दूसरा बच्चे के कमरे की तरफ़ भागने लगा. शायद उसका इरादा बच्चे को मारने या उसे ढाल बना कर वहां से भागने का था. हम कोई भी रिस्क नहीं ले सकते थे. हमने उस पर गोली चलाई, जो उसके पैर में जा कर लगी और उसके हाथ से बंदूक गिर गई. इसके बाद हमने लोहे के दरवाज़े को तोड़ा और हमारे कमांडो ने किडनैपर पर अपनी AK47 तान दी.’

इसके बाद DCP नायक मौका-ऐ-वारदात पर पहुंचे और बच्चे को बेडरूम से निकाला.

DCP नायक का कहना है कि ‘बच्चा गोलीबारी को देख कर बेहद डर गया था, पर मैंने उसे समझाया कि हम क्रिमिनल नहीं, बल्कि पुलिस वाले हैं.’

इस ऑपरेशन को देख कर मुंह से बस एक ही बात निकलती है कि ‘हमारी दिल्ली पुलिस भी किसी से कम है क्या!’