देश के राजनैतिक माहौल को छोड़ दें, तो भी हमारी संस्कृति और सभ्यता में राम के नाम का महत्वपूर्ण स्थान है. किसी के लिए ये नाम आस्था का सवाल हैं, तो किसी के लिए विश्वास का. इसी आस्था और विश्वास को निभा रहा है पश्चिम बंगाल के बांकुरा डिस्ट्रिक्ट का पश्चिमी सनबद्ध गांव, जहां पिछले 500 सालों से हर बच्चे के नाम के साथ राम शब्द जुड़ा हुआ है.

इसी गांव के रहने वाले राममय का कहना है कि ‘राम हमारे गांव के कुल देवता हैं, इसलिए उनके नाम का प्रयोग करके हम उन्हें सम्मान देते हैं.’ पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही राम नाम की परम्परा की वजह से इस क्षेत्र को लोग ‘रामपरा’ कहते हैं.

यहां के लोगों का कहना है कि हम किसी भी तरह की राजनीति से प्रेरित नहीं है और न ही किसी के बहकावे में आ कर ऐसा कर रहे हैं. ये नाम हमारी पहचान है और हम इसी के साथ जीना चाहते हैं.

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि रामपरा गांव के इर्द-गिर्द जलहरी, बदुल्लारा, कपिस्ठा और हीर जैसे गांव हैं, जो मुस्लिम बहुल इलाके में गिने जाते हैं, जो रामपरा गांव के लोगों की संस्कृति का सम्मान करते हैं.

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