पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर हनीट्रैप के कई मामले सामने आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोग किसी को जाने बगैर उस पर भरोसा करने लगते हैं. ऐसे में जालसाजों द्वारा बिछाए गए जाल में फंसकर अब तक कई लोगों की ज़िंदगियां बर्बाद हो चुकी हैं.

bhaskar.com

एक ऐसा ही मामला साल 2012 में भी देखने को मिला था. मुंबई के रहने वाले हामिद निहाल अंसारी को फ़ेसबुक के ज़रिये एक पाकिस्तानी लड़की से मोहब्बत हो गई थी. और हामिद अपने प्यार को पाने के लिए अवैध रूप से सरहद पार कर पाकिस्तान पहुंच गए. इसी दौरान पाकिस्तान सैन्य अदालत ने फ़र्जी पाकिस्तानी पहचान पत्र रखने के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया. 15 दिसंबर, 2015 को हामिद को 3 साल कैद की सज़ा सुनाई थी.

bhaskar.com

दरअसल, नवंबर 2012 में काबुल से नौकरी का ऑफ़र आने की बात कहकर हामिद मुंबई से अफ़गानिस्तान के लिए निकला था. इसके बाद वो फ़र्जी पहचान पत्र दिखाकर पाकिस्तान पहुंचा और वहां किसी लॉज में रुका. इस दौरान हामिद की गर्लफ़्रेंड ने ही उसके रुकने का इंतजाम किया था. 12 नवंबर को भारतीय जासूस होने के आरोप में हामिद को उसी लॉज से गिरफ़्तार किया गया था.

पाकिस्तान हाईकोर्ट ने ख़ारिज की थी याचिका

ndtv.com

12 दिसंबर 2015 को जब पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने हामिद को जासूसी और पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों का दोषी ठहराया तो उसके भारत लौटने की सारी संभावनाएं लगभग ख़त्म हो गईं. इसके बाद हामिद ने अपने बचाव में सैन्य अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पाकिस्तान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन अगस्त 2018 में कोर्ट ने हामिद की याचिका ख़ारिज कर दी थी.

गर्लफ़्रेंड से मिले बिना 6 साल बाद वतन वापसी

ndtv.com

इस बीच सरकार और पाकिस्तान गृह मंत्रालय की लगातार कोशिशों के बाद जांच में पता चला कि फर्जी पहचान पत्र उन्हें पाकिस्तानी गर्लफ़्रेंड ने ही भेजा था. हामिद अब पूरे 6 साल बाद आज भारत लौट रहे हैं. अटारी बॉर्डर पर हामिद को लेने के लिए उनके माता-पिता और भाई पहुंचे हैं.

परिवार को बेटे के लिए बेचना पड़ा मकान

navbharattimes

हामिद का परिवार वर्सोवा मेट्रो स्टेशन के पास रहता है. बेटे को बचाने के लिए पिता नेहाल अंसारी ने बैंक की नौकरी तक छोड़ दी. जबकि परिवार को अपना पुश्तैनी घर बेचकर दिल्ली आना पड़ा ताकि हर हफ़्ते पाकिस्तान उच्चायोग जाकर बेटे के केस के लिए गुहार लगा सकें. हामिद की मां फौजिया मुंबई में एक कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल हैं.

navbharattimes

हामिद को बचाने में मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार जतिन देसाई ने अहम भूमिका निभाई. देसाई पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की रिहाई के लिए लंबे समय से लगे हुए हैं. देसाई ने मुंबई और कराची के प्रेस क्लब के बीच एक मजबूत संबंध बनाए हैं. इसके अलावा वो ‘पाकिस्तान-इंडिया पीपल्स फ़ोरम फ़ॉर पीस ऐंड डेमोक्रेसी के महासचिव भी हैं.

Source: timesofindia