द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा में 75 साल पहले आज ही के दिन अमेरिका में परमाणु बम गिराया था. बम गिराने के 3 दिन बाद 9 अगस्त 1945 को दूसरा बम नागासाकी में गिराया.
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हिरोशिमा में जिस बन को गिराया गया था उसका नाम Little Boy था वहीं नागासाकी में गिरे बम का नाम Fat Man था. इन हमलों के बाद जापान ने 15 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया था.
आइये जानते हैं बम गिराने के बाद कितनी भीषण तबाही फैली थी.
हिरोशिमा ही क्यों चुना गया?
द्वितीय विश्व युद्ध के समय यह शहर जापान का अहम सैन्य ठिकाना था. यहां देश के सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति भंडार गृह थे. हिरोशिमा में कारखाने, सैन्य ठिकाने और गोला-बारूद थे. अमेरिका जापान की सेना की ताक़त कम करना चाहता था. उसके लिए हिरोशिमा सही जगह लगी.
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हमला कैसे किया?
सुबह 8:15 बजे अमेरिका के B-29 बमवर्षक एनोला गे ने शहर के बीचो बीच 31,500 फीट की ऊंचाई से परमाणु बम गिराया. इतिहास में पहली बार परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था. इस बम का नाम “Little Boy” था. 4,400 किलो भारी और 10 फ़ीट लम्बे इस बम में 15 किलो TNT था. गिराने के 43 सेकेण्ड बाद बम फटा और इस बम के फटने से शहर का तापमान 6,000 °C पहुंच गया था. चपेट में आने वाले लोग तुरंत राख़ हो गए. बम के फटने के बाद हिरोशिमा में रेडियोएक्टिव बारिश हुई.
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कुल कितने लोग मारे गए?
हमले से पहले हिरोशिमा की कुल जनसंख्या 3,50,000 थी. इस हमले में कुल 1,40,000 मारे गए, जो आबादी का 40% है. धमाके के 500 मीटर के दायरे में आने वाले लोग तुरंत मर गए और रेडिएशन से काफी दिनों तक लोगों की जान जाती रही. इस विस्फोट से Direct और In-direct लगभग 3 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई. आज हिरोशिमा में 12 लाख लोग रहते हैं.
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रेडिएशन का क्या असर हुआ?
बम के फटने के बाद बने बादलों की वजह से हिरोशिमा में तेज़ बारिश होने लगी थी. ये काली बारिश थी जिसमें गंदगी,और विस्फोट से उत्पन्न हुए रेडियोएक्टिव तत्व मौजूद थे. जो शरीर पर पड़ कर त्वचा को जला रही थी. चपेट में आये लोगों को उल्टियां आना और बाल झड़ना शुरू हो गए. जो इसकी चपेट में सीधा आये थे वो लोग तीन से छह सप्ताह के भीतर ही मर गए. जो बच गए उन्हें कैंसर या अन्य बीमारियों ने घेर लिया.
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हिरोशिमा में कागज़ की सारस (Paper Cranes) क्यों बनाई जाती है?
कागज़ मोड़कर पक्षी बनाने की कला को जापान में ओरिगामी (Origami:Ori का अर्थ है “मोड़ना” और Gami का अर्थ है “काग़ज़”) कहते हैं. इसे जापान में शांति का प्रतीक माना जाता है. जापान की एक 12 साल की बच्ची सादाको सासाकी (Sadako Sasaki) की इस हमले के बाद जान तो बच गयी थी मगर रेडिएशन के चलते ल्यूकेमिया का शिकार हो गयी थी. ये बच्ची अपने दवाइयों के कागज़ को मोड़-मोड़ कर सारस बनाया करती थी. जापान में एक पुरानी कहानी प्रचलित है कि जो 1000 ओरिगामी बनाएगा उसकी एक ख़्वाहिश पूरी होगी. तीन महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई मगर ओरिगामी शांति का प्रतीक बन गया.
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मई 2016 में अमेरिका के तब के राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने जापान दौरे पर ख़ुद की बनाई ओरिगामी ले गए थे जो हिरोशिमा पीस मेमोरियल संग्रहालय में रखी है.