अगर कुछ कर गुज़रने का जुनून हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर लेता. उम्र किसी की मोहताज़ नहीं होती. आज हम आपको एक ऐसे शख़्श के बारे में बताने जा रहे हैं जो पेशे से तो रिक्शा चालक हैं लेकिन काम ऐसा कि हर कोई सुनकर हैरान रह जाए. असम के करीमगंज ज़िले के मधुरबंद गांव में रहने वाले 82 साल के अहमद अली ने 9 स्कूल खोलकर एक नयी मिसाल कायम की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘मन की बात’ के 42वें एपिसोड में उनके इस काम की तारीफ़ कर चुके हैं.

indiatimes

अहमद अली जिस गांव में रहते हैं वो भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के करीब है और बेहद पिछड़ा भी है. लेकिन अहमद की हिम्मत की दाद देनी होगी कि रिक्शा चालक होने के बावज़ूद उन्होंने अपनी कमाई से गांव के ग़रीब बच्चों के लिए 9 स्कूल खोल डाले.

अहमद अली ने रविवार को अपनी पत्नी, तीन बच्चों और रिश्तेदारों के साथ ‘मन की बात’ सुनने के बाद कहा,

मैंने छोटी उम्र में पैसों के अभाव के कारण स्कूल छोड़ दिया था. लेकिन अल्लाह की कृपा और गांव वालों के सहयोग ने इस काम में मेरी मदद की और ग़रीब बच्चों के पढ़ने का सपना साकार हो पाया.
oneindia

अली ने 1978 में अपनी एक ज़मीन बेचकर एक प्राईमरी स्कूल खोला. इसके बाद ये सिलसिला पिछले 40 साल से जारी है. इस दौरान उन्होंने मधुरबंद और उसके आस-पास के गांव में तीन लोअर प्राइमरी स्कूल, पांच अपर प्राइमरी स्कूल और एक हाई स्कूल का निर्माण किया. उन्होंने अपनी कुछ 36 बीघा ज़मीन में से 32 बीघा ज़मीन स्कूल बनाने के लिए दान कर दी.

indiatimes

अली ने बताया कि ‘इस परोपकार के काम के लिए मैंने रिक्शा चलाकर पैसे जुटाने का काम भी किया. मैं अपने क्षेत्र के उन ग़रीब बच्चों के लिए स्कूल खोलना चाहता हूं, जो स्कूल नहीं जा पाते हैं. ऐसे बच्चों के लिए पहली से लेकर 10वीं कक्षा तक का स्कूल खोलना अब मेरी प्राथमिकता है. हम चाहते हैं कि सरकार हमारे इस काम के लिए हमारी मदद करे ताकि गरीब बच्चों की शिक्षा से वंचित न होना पड़े.’

weirdhut

हम उम्मीद करते हैं कि अहमद अली अपने इस नेक काम को यूं ही जारी रखें और ग़रीब बच्चों के पढ़ने के सपने को पूरा करें.