कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि समाज आपको क्या मानता है, शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र-सीमा नहीं होती. अपनी शिक्षा को पूरा करने के लिए कोई सही उम्र नहीं है या अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की तय समय सीमा. जीवन हर किसी के लिए अलग होता है. 

सोहन सिंह गिल, जिन्होंने 83 वर्ष की आयु में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की ये बात सिद्ध कर दिखाई है. उन्होंने जालंधर की एक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. 

गिल ने 1957 में ख़ालसा कॉलेज, माहिलपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अगले वर्ष अमृतसर के खालसा कॉलेज से टीचिंग कोर्स करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी. पढ़ाई पर वापस आने पर, वह बताते हैं, 

मेरे कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल वरियाम सिंह ने सुझाव दिया कि मुझे मास्टर्स करके लेक्चरर बन जाना चाहिए. मुझे भी यही करना था लेकिन क़िस्मत में कुछ और था. मैं केन्या (अफ़्रीका) चला गया और वहां एक अध्यापक की नौकरी करने लगा. मैं 1991 में भारत लौट आया और 2017 तक, विभिन्न स्कूलों में पढ़ाया, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट करने की इच्छा हमेशा मेरे दिल में रही. 
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बस दो साल पहले ही उन्होंने डिस्टेंस एज्युकेशन के ज़रिए अंग्रेज़ी में मास्टर्स के लिए दाख़िला लिया था. 

गिल के अनुसार, अंग्रेजी हमेशा से उनकी पसंदीदा भाषा रही है और केन्या में रहने से उन्होंने इस भाषा में और महारथ हासिल कर ली थी. उन्होंने IELTS परीक्षा के लिए बच्चों को पढ़ाया भी था और सभी बच्चों के अचे अंक भी आए थे. उन्हें स्पोर्ट्स जैसे फुटबॉल और हॉकी में भी ख़ास रुचि है. 

डिग्री के बाद की योजनाओं के बारें में पूछने पर गिल कहते हैं, ‘मैं बच्चों के लिए किताबें लिखना चाहता हूं.’