दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से चार भारत में हैं. 2015 की रिसर्च के अनुसार, दुनियाभर में प्रदूषण से हुई मौतों में आधी से ज़्यादा भारत और चीन में हुई हैं. प्रदूषण को रोकने में सरकार सक्षम नहीं है.

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देश में बढ़ते प्रदू​षण और भविष्य में इसके खराब प्रभाव से बचने के लिए एक नौ साल की बच्ची, रिद्धिमा पाण्डे ने भारतीय सरकार के खिलाफ़ केस दर्ज कराया है. रिद्धिमा ने सरकार की पर्यावरण कानूनों को लागू करने में विफ़लता की बात उठाते हुए ये केस दर्ज कराया है. उसने प्रदूषित वातारण और हवा की घटती गुणवत्ता पर अपनी चिन्ता जताई है.

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ये याचिका, पर्यावरण संबंधी मामलों के स्पेशल कोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में दर्ज कराई गई है. याचिका में ट्रीब्यूनल को भारतीय सरकार को निर्देश देने की बात लिखी है कि ‘पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को रोकने या कम करने के लिए, विज्ञान आधारित प्रोजेक्ट का बेहतर ढ़ंग से प्रयोग किया जाए’.

ट्रीब्यूनल ने पर्यावरण मंत्रालय और कंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से दो हफ़्ते में जवाब मांगा है. पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने जवाब में कहा कि ​ट्रीब्यूनल के निर्देशानुसार वो जवाब देंगे.

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देश में जंगल बचाने, नदियों की सफ़ाई और हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई कानून हैं, पर इनका अच्छे से इस्तेमाल नहीं हो रहा.

साल 2013 में हुई उत्तराखण्ड आपदा को रिद्धिमा ने अपनी आंखों से देखा है. जहां हज़ारों लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हो गए. इस बात से आप समझ सकते हैं कि इस बच्ची को पर्यावरण और उसके दुष्प्रभाव की इतनी चिन्ता क्यों है. रिद्धिमा के वकील ने बताया कि वो पर्यावरण के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहती थी.

ऐसा करने वाली रिद्धिमा अकेली नहीं है, पिछले साल दिल्ली के छह बच्चों ने भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पर्यावरण पर चिन्ता जताते हुए याचिका दायर की थी. 

Article Source- Indiatimes & Reuters