अमेरिका की एक 93 साल की महिला ने जर्मनी के एक चिड़ियाघर को 22 मिलियन डॉलर की भारी भरकम राशि दान करने का फ़ैसला किया है क्योंकि जर्मनी के इस शहर और इस चिड़ियाघर से उनकी कई खास यादें जुड़ी हुईं है. जर्मनी के शहर Cologne में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एलिज़ाबेथ का पड़ोसी एक यहूदी था और उसे Concentration कैंप में भेज कर मौत के घाट उतार दिया जाता, लेकिन एलिज़ाबेथ की आंटी ने उस शख़्स को शरण देकर उसकी जान बचाई थी.

एलिज़ाबेथ अपनी आंटी के इस प्रयास के बाद इस कैंपेन से जुड़ गईं. इसी दौरान वे अपने होने वाले पति Arnulf से 1944 में मिली थीं, क्योंकि वे सभी अंडरग्राउंड हो चुके लोगों को जानती थी. Arnulf भी एक यहूदी थे और वो नाज़ियों से छिपते फिर रहे थे. उस दौरान इन दोनों के ही आर्थिक हालात कुछ खास नहीं थे. 

द्वितीय विश्व युद्ध के ख़त्म होने के एक साल बाद एलिज़ाबेथ और Arnulf ने शादी कर ली. इसके कुछ सालों बाद इस दंपति ने इज़रायल का रूख किया. यहां पांच साल गुज़ारने के बाद आखिरकार ये कपल एलिज़ाबेथ की मां के पास अमेरिका आ गए. एलिज़ाबेथ अमेरिका में एक हेयरड्रेसर की तरह काम करती थीं, वहीं उनके पति एक Pet स्टोर में काम करते थे. इसके बाद उन्होंने अपने बिज़नेस की शुरूआत की और काफी पैसा बनाया लेकिन Cologne शहर हमेशा उनकी यादों में बसा रहा. 

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एलिज़ाबेथ के मुताबिक, ‘ये मेरे पति की तमन्ना थी कि जब भी हम इस दुनिया से विदा लें, तो अपनी सारी संपत्ति को इस शहर के चिड़ियाघर को दान कर दें. हमारे कोई बच्चे नहीं है. इस चिड़ियाघर में मौजूद जानवर ही हमारे बच्चे हैं. उन्होंने कहा कि हमें शुरूआत से ही जानवरों के प्रति काफ़ी लगाव रहा है. मेरे पति जानवरों के शिकार के भी सख़्त खिलाफ़ थे और जब-जब वो जानवरों को तड़पते देखते, तो उन्हें बहुत गुस्सा आता था. वो एक शानदार इंसान थे. उनके जैसा कोई नहीं था. मैं पिछले 19 साल से विधवा हूं, लेकिन मुझे कभी किसी और इंसान के साथ अपनी ज़िंदगी गुज़ारने की इच्छा नहीं हुई. हम Cologne में पैदा हुए थे और हम इस शहर को हमेशा याद रखेंगे.’

1998 में Arnulf के मरने से कुछ ही दिनों पहले इस कपल ने फ़ैसला किया था कि मरने के बाद वे अपनी सारी संपत्ति Cologne चिड़ियाघर को दान कर देंगे. उन्होंने कहा कि जब आप ये सोचते हैं कि आपको अपनी विरासत और पैसा किसे सौंपना है, ऐसे हालातों में आपकी यादें अहम भूमिका निभाती हैं और Cologne शहर और उसके चिड़ियाघर के साथ हमारी कई सुनहरी यादें जुड़ी हुई हैं.

लेकिन ऐसा नहीं है कि एलिज़ाबेथ पहली बार इस चिड़ियाघर को कुछ दान करने जा रही हैं. इससे पहले, 1954 में इस दंपति ने एक जॉर्डन नदी से लाए गए एक कछुए को भी दान किया था.

2015 में जब एलिज़ाबेथ के बैंकर ने इस चिड़ियाघर के अधिकारियों से इस मसले पर बातचीत की थी तो इस संस्था का चीफ़ फ़ाइनेंस ऑफ़िसर इतना हैरान हुआ था कि उसे ये एक स्कैम लग रहा था, वहीं इस चिड़ियाघर के डायरेक्टर क्रिस्टोफ़र लैंड्सबर्ग इस डोनेशन के बारे में जानकर एकदम हैरान थे. क्रिस के मुताबिक, ‘मैं अपनी कुर्सी से लगभग गिर चुका था. ये बेहद खास है.’ दरअसल जर्मनी में इतने बड़े स्तर पर डोनेशन की खबरें कम ही आती हैं, ऐसे में एलिज़ाबेथ के इस प्रयास को बेहद सराहा जा रहा है.