हमारे लिए और इस देश के लिए सरहद पर लड़ता एक जवान अपने परिवारवालों की फ़िक़्र किए बिना युद्ध के मैदान में डंटा रहता है. उनके घरवालों को क्या चाहिए? पत्नी की क्या ज़रूरत है? बच्चे कितने बड़े हो गए कौन-सी क्लास में पहुंच गए? उसे कुछ नहीं पता होता सिवाय देश के. अपने सारे अधिकारों का त्याग वो सिर्फ़ एक अधिकार को समझता है वो है देश की सेवा. अगर वो हमारी रक्षा बिना किसी स्वार्थ के करते हैं, तो हमारे देश के क़ानून को उनकी सुरक्षा भी बिना किसी स्वार्थ के नहीं करनी चाहिए?
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जो जवान हंसते-हंसते देश पर क़ुर्बान हो गया, उसकी पेंशन पर भी क्या उसके परिवारवालों का हक़ नहीं है? अगर हक़ होता, तो Hebe Benjamin, जो एक आर्मी ऑफ़िसर की विधवा हैं, उन्हें अपने पति की पेंशन के लिए 30 साल नहीं लड़ना पड़ता. 30 सालों से लड़ते-लड़ते उनको अब जाकर कहीं 1 करोड़ पेंशन देने का वादा किया गया है.
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इनके पति Late Col. George Benjamin आर्मी में इंजीनियर थे. उन्होंने 1966 में आर्मी जॉइन की और 1990 में उनकी मृत्यु हो गई. तब से उनका परिवार उनकी पेंशन के लिए सरकार से संघर्ष कर रहा था. इसके चलते उनकी वाइफ़ Hebe ने रक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा था, कि आय का कोई और साधन भी नहीं है, पेंशन से उम्मीद है. मगर वहां कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद, उन्होंने एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा.
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India Today के अनुसार, इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनकी 29 साल से रुकी 75 लाख रुपये की पेंशन राशि का रास्ता साफ़ कर दिया. Hebe को सिर्फ़ 75 लाख नहीं, बल्कि ब्याज़ और एरियर लगाकर पूरे 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. Hebe फ़िलहाल इज़रायल में रहती हैं.
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इस पर उनकी बेटी का कहना है, कि उनके कई दोस्तों और रिश्तेदारों ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई. इसके बाद हमने इज़रायल में भारतीय दूतावास में संपर्क किया.
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Hebe की फ़ैमिली फ़्रेंड मनप्रीत कांत ने India Today को बताया, ‘रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के रवैये से निराश होकर Hebe सारी उम्मीदें खो चुकी थीं. इसीलिए उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की शिकायत करने के साथ-साथ अपनी पेंशन बहाल करने का आग्रह किया. उनके पति कर्नल सेवानिवृत्त होने के बाद इज़रायल चले गए और अपने परिवार के साथ वहीं रहने लगे. मगर उनके निधन के बाद से उनको परिवार को कोई पेंशन नहीं मिल रही थी, जबकि उनका सहारा सिर्फ़ यही पेंशन थी.’
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आपको बता दें, कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ़ से की गई कार्रवाई के बाद आशा है इस महीने के आखिरी तक Hebe को पेंशन मिल जाएगी.