लुई सोफ़िया नाम की एक महिला तमिलनाडु की भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष तसिलसाई सुंदरराजन के साथ हवाई जहाज़ में सफ़र कर रही थी. सोफ़िया ने भाजपा अध्यक्ष के सामने भाजपा विरोधी नारे लगाए, दोनों के बीच थोड़ी कहा-सुनी भी हुई. बाद में तमिलनाडु के तूतीकोरिन एयरपोर्ट पर लुई सोफ़िया की गिरफ़्तारी हो गई और उसे 15 दिन के न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

लुई सोफ़िया ने लगेज बॉक्स के पास सुंदरराजन के सामने ‘Fascist BJP Down Down’ के नारे लगाए थे, नारेबाज़ी से परेशान होकर सुंदरराजन ने पुलिस से इसकी शिकायत कर दी. इसके बाद सोफ़िया की गिरफ़्तारी कर 15 दिनों के लिए के कोकिराकुलम जेल भेज दिया गया. हालांकि उन्हें आज थूथूकुडी कोर्ट से ज़मानत मिल गई है. मौजूदा जानकारी के अनुसार सोफ़िया एक लेखिका हैं.

इस घटना के बाद राज्य में सियासी गर्माहट बढ़ गई है. डी.एम.के के मुखिया एम. के स्टालिन ने राज्य सरकार को इस गिरफ़तारी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है और इस गिरफ़्तारी को लोकतंत्र और बोलने की आज़ादी बताया है. एक ट्वीट के ज़रिए उन्हें राज्य सरकार पर हमला किया और कहा उन सभी लोगों को गिरफ़्तार करना होगा जो ऐसे नारे लगाते हैं, मैं भी ऐसे नारे लगाऊंगा, ‘फ़ासीवादी बीजेपी सरकार हाय-हाय’.

सोफ़िया के ऊपर पुलिस ने IPC के तहत सार्वजनिक स्थल पर शांति भंग करने की धाराएं और तमिलनाडु सिटी पुलिस एक्ट,1888 के तहत केस दर्ज किया है.

सोफ़िया के पिता ने सुंदरराजन ने भाजपा कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ उनकी बेटी को धमकाने और गाली देने का आरोप लगा कर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. मीडिया को उन्होंने बताया कि मेरी बेटी ने भाजपा अध्यक्ष के ख़िलाफ़ अपमानजनक कुछ नहीं कहा, ‘Fascist BJP Down Down’ के नारे लगाना उसकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है.

भाजपा अध्यक्ष तसिलसाई सुंदरराजन ने सोफ़िया की पृष्ठभुमी को संदेहस्पद बताया और उसके ऊपर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मुझे देखने में वो काई सामान्य यात्री नहीं लगी. मुझे लगता है वो ऐसी परिस्थिति थी, जहां मेरी ज़िंदगी ख़तरे में थी. जिस तरीके से वो खड़ी थी और अपने हाथ उठा रही थी और नारे लगा रही थी… मुझे संदेह है कि ज़रूर इसके पीछे कोई संगठन है.’

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इस मामले में दो बातें, एक ये कि सोफ़िया ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के नियमों का उल्लंघन किया है, तो क्या उसके तहत उसे सज़ा मिलनी चाहिए थी. और क्या नियमों के हिसाब से उस सज़ा में हिरासत में लेना लिखा हुआ है? दूसरा, सरकार विरोधी नारे लोग पहले भी लगा चुके हैं, क्या इसके लिए उन्हें जेल हुई? अगर नहीं हुई, तो ख़ुद को फ़ासीवादी सरकार न बोलने वाले बीजेपी सरकार का ये कदम फ़ासीवाद की पैरवी करता हुआ दिख रहा है. 

Source: india today

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