सोमवार को संपन्न हुए United Nations Climate Action Summit में दुनिया के 16 बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के प्रति पर्याप्त कदम न उठाने की वजह से विरोध दर्ज कराने के लिए सरकारों के ऊपर वैधानिक केस दर्ज कराया. 

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इस आयोजन में आए लोगों ने 8 से 17 साल के बच्चों को याचिका डालते देखा, उन बच्चों में एक नाम भारत की रिद्धिमा पांडे का भी था. रिद्धिमा ने खड़े होकर उन लोगों से कठोर सवाल पूछे जो जलवायु परिवर्तन के लिए जवाबदेह हैं, रिद्धिमा ने ये भी बताया कि यह कैसे उसके अधिकारों का हनन है. 

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रिद्धिमा उत्तराखंड की रहने वाली हैं. वो अपने वेबसाइट Children Vs Climate पर ‘Save The Future’ मिशन चला रही हैं. उसने लिखा है:

मैं एक बेहतर भविष्य चाहती हूं. मैं अपने भविष्य को बचाना चाहती हूं. मैं हमारे भविष्य को बचाना चाहती हूं. मैं सभी बच्चों और भविष्य के पीढ़ियों के भविष्य को बचाना चाहती हूं.

उसने भारत के ऊपर हुए जलवायु परिवर्तन के असर को बताया और समझाया है कि कैसे गंगा नदी प्रभावित हो रही है. साल 2017 में रिद्धिमा ने भारत सरकार के ख़िलाफ़ जलवायु परिवर्तन के प्रति उचित कदम न उठाने के लिए याचिका दायर की थी. 

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अपनी याचिका में उसने कोर्ट से मांग की थी कि भारत सरकार कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को सीमित करें और देश के जलवायु की रिकवरी के लिए ‘कार्बन बजट’ तैयार करें. 

रिधिमा का पर्यावरण के प्रति सजगता साल 2013 में आए उत्तराखंड के बाढ के बाद बढ़ी. उसके पिता भी एक पर्यावरणविद हैं. 

Environmental Law Alliance Worldwide

National Green Tribunal में रिद्धिमा के केस को रीप्रज़ेंट करने वाले राहुल चौधरी ने The Indian Express से हुई बातचीत में कहा: 

इस छोटी उम्र में वो पर्यावरण के मुद्दे पर काफ़ी सजग है और कैसे यह उसके भविष्य को प्रभावित करेगा, उस बारे में चिंतित है. 

इन 16 बच्चों ने अपने लीगल पेटिशन में बताया कि पर्यवारण के प्रति उनके देश के सरकारों की लापरवाही की वज़ह से कैसे उनेक मानव अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. 

इन 16 बच्चों से शुरुआत हुई है लेकिन सिर्फ़ इतने  से दुनिया बदलेगी नहीं, हम आप को भी हाथ बढ़ाना होगा.