सरकार भारत को विश्व गुरू बनाने का दावा करती है. वो भी ऐसे समय में जब देश में ही बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. अब हालात ये हो गए हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल के चपरासी को मदद करनी पड़ रही है. ताज़ा मामला हरियाणा के माजरी गांव के एक सरकारी स्कूल का है.
Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक़, हरियाणा के माजरी गांव का सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. हालात इस कदर तक ख़राब हैं कि यहां 400 बच्चों पर केवल 19 अध्यापक हैं. इनमें से भी सिर्फ़ एक पीजीटी उत्तीर्ण गणित शिक्षक है.

कमल सिंह ग्रुप डी के अंतर्गत इस सरकारी स्कूल में चपरासी के तौर पर भर्ती हुए. कमल सिंह MSc. फिज़िक्स हैं. स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से उन्हें चपरासी और अध्यापक दोनों की भूमिका निभानी पड़ रही है.
उप जिला शिक्षा अधिकारी सुधीर कालरा ने बताया कि एक गणित अध्यापक है, जो एक सप्ताह में 54 पीरियड्स देखता है. साथ ही चुनावी ड्यूटी अलग करनी पड़ती है.

‘कमल MSc. फिज़िक्स हैं. गणित के शिक्षक पर काम का काफ़ी दबाव है. ऐसे में कमल ने प्रिंसिपल से मदद करने का प्रस्ताव रखा. मैंने सुना है कि वो बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं, साथ ही बच्चे भी उनसे पढ़ना पसंद करते हैं.’
हालांकि, ये बात सही है कि इससे काम का भार कम होता है. लेकिन तक़नीकि तौर पर ये गलत है क्योंकि किसी विषय को पढ़ाने के लिए संबधित अध्यापक के पास उसमें परास्नातक की डिग्री होना जरूरी है. ऐसे में ये ज़रूरी हो जाता है कि सरकारें इस ओर ध्यान दें.